15 अगस्त : स्वतंत्रता दिवस पर भाषण एवं निबंध | Essay and Speech on Independence Day in hindi for Students and Teachers

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भारतीय इतिहास के पन्नों में दर्ज 15 अगस्त 1947 का वह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील था। 15 अगस्त 1947 के दिन ही भारत को 200 साल की हुकूमत के बाद ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता मिली थी। आज हम भारतवासी गर्व के साथ अपना स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं लेकिन स्वतंत्रता के पीछे एक नहीं बल्कि हजारों स्वतंत्रता सेनानियों की संघर्ष की कहानी छिपी है।

आज हम सभी देशवासी 77 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं और आप सभी को स्वतंत्रता की वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाएं। साथ ही देश के उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को शत शत नमन जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया।

स्वतंत्रता दिवस भारत के राष्ट्रीय पर्व में से एक है। और स्वतंत्रता दिवस के इस पावन अवसर पर देश के सभी स्कूल कॉलेज एवं शिक्षण संस्थानों में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं । जिनमें निबंध भाषण गीत लोक नृत्य, स्वतंत्रता दिवस पर स्लोगन एवं नारे की प्रतियोगिताएं भी रखी जाती है। अगर आप 15 अगस्त या स्वतंत्रता दिवस पर भाषण या निबंध की तैयारी करना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें।

आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि स्वतंत्रता दिवस पर निबंध कैसे लिखें, स्वतंत्रता दिवस पर भाषण कैसे लिखें ( Essay and Speech on Independence Day in hindi| How to write essay on Independence day) साथ ही हम आपको स्वतंत्रता दिवस के इतिहास ( history of Independence Day) के विषय में पूरी जानकारी देंगे।

: स्वतंत्रता दिवस पर भाषण एवं निबंध | Essay and Speech on Independence Day in hindi

15 अगस्त 1947 के दिन मध्यरात्रि में हमारा देश भारत गुलामी की बेड़ियों को तोड़कर आजाद हुआ था। भारत को स्वतंत्र कराने के लिए कितनी ही स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राण गवा दिए तब जाकर भारत को स्वतंत्रता हासिल हुई। साल 2022 में आजादी के 75 साल पूरे होने की खुशी में पूरे देश में आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मनाया गया। जिसमें विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्रा भाषण निबंध एवं गीत प्रतियोगिता में भाग लेकर अपने विचारों को अभिव्यक्त की।

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स्वतंत्रता दिवस पर हिंदी में भाषण

15 August 2023: स्वतंत्रता दिवस 2023

इस साल हम भारत का 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं । हर साल स्वतंत्रता दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले पर तिरंगे को फहराया जाता है और देशवासियों को संबोधित किया जाता है। देश के प्रधानमंत्री पूरे देश को अपने भाषण द्वारा संबोधित करते हैं।

इस साल स्वतंत्र दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से अपने भाषण के लिए सुझाव मांगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से ट्वीट करके कहा कि वह किस विषय पर भाषण सुनना चाहते हैं लोग उन्हें इस पर सुझाव दें ।

विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। टेलीविजन पर देशभक्ति से जुड़े रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं और प्रधानमंत्री द्वारा दिए जाने वाले भाषण का टेलीविजन पर लाइव टेलीकास्ट किया जाता है।

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स्वतंत्रता का क्या अर्थ है:

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स्वतंत्रता का अर्थ

स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। स्वतंत्रता का अधिकार हमस कोई नहीं छीन सकता लेकिन आपकी स्वतंत्रता किसी दूसरे व्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रभाव डालती है तो वह स्वतंत्रता नहीं है।

स्वतंत्रता से अर्थ है कि आप को बोलने की स्वतंत्रता हो घूमने की स्वतंत्रता हो नौकरी की स्वतंत्रता आदि। लेकिन स्वतंत्रता यह कभी नहीं कहती कि दूसरे को पराधीन बनाकर आप स्वतंत्र रहे। पराधीन से तात्पर्य है कि किसी दूसरे व्यक्ति को अपने अधीन कर लेना। ऐसा करना किसी दूसरे की स्वतंत्रता का हनन करना होगा।

आज हम बाहरी रूप से स्वतंत्र है लेकिन फिर भी कहीं ना कहीं मानसिक रूप से स्वतंत्र होने की आवश्यकता है। हमें अपने विचारों में स्वतंत्रता लाने की आवश्यकता है इसीलिए हमे दूसरे इंसान की स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए, तभी सही मायने में हम स्वतंत्र होंगे।

स्वतंत्रता दिवस का महत्व ( Significance of Independence Day in hindi)

15 अगस्त 1947 का दिन समस्त भारतीयों के लिए बहुत ही संवेदनशील महत्वपूर्ण एवं भावुक था। जहां एक और देशवासियों को अपनी आजादी का सुकून था वहीं दूसरी ओर देश के लाखों लोग विभाजन के दर्द को झेल रहे थे।

आज हम खुली हवा में सांस ले सकते हैं अपने घरों से बेझिझक बाहर निकल सकते हैं। लेकिन एक समय वह भी था जब भारतीयों पर अंग्रेज जुल्म ढा रहे थे। आज हम स्वतंत्र भारत में रहते हैं हमारे पास स्वतंत्रता का अधिकार है इसलिए हमें अपने इस अधिकार को सही तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए एवं देश हित एवं देश की रक्षा में सदैव तत्पर रहना चाहिए।

अपनी स्वतंत्रता का अर्थ दूसरे इंसान को पराधीन बनाने से कदापि नहीं है। अगर हम आजाद हैं तो इसलिए क्योंकि लाखों शहीदों ने हमारी आजादी के लिए अपना लहू बहाया। इसलिए हमें अपनी आजादी का सम्मान करते हुए जातिवाद, अमीर गरीब ,सांप्रदायिकता जैसे भेदभाव को भूलते हुए भारत देश के नागरिक के रूप में खुद को देखना चाहिए।

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15 अगस्त का इतिहास | स्वतंत्रता दिवस का इतिहास | history of 15 August

Essay and speech on Independence Day in hindi
history of 15 August ( 15 अगस्त का इतिहास), image source : wikipedia

गुलाम भारत की आजादी की घोषणा 14 अगस्त मध्य रात्रि में की गयी थी। दिल्ली में अधिक अधिकारिक तौर पर रात के 11:00 बजे संसद में भारत के स्वतंत्रता दिवस का आयोजन शुरू किया गया।

आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू समेत कई अन्य नेता भी संसद में शामिल थे।

चारों ओर शंखनाद बज रहे थे। ठीक 11:55 पर जवाहरलाल नेहरू ने अपने भाषण “ट्रिस्ट विद डेस्टिनी” में देश की जनता को संबोधित करते हुए कहा – “आधी रात के समय जब पूरी दुनिया सो रही है, भारत आजादी की सांस ले रहा है।”

रात्रि के 12:00 बजे थे चारों ओर शंख बज रहे थे। बाहर बहुत ही बारिश हो रही थी किंतु स्वतंत्रता के जश्न में डूबे देशवासी एक दूसरे को गले मिलकर अपनी खुशियां बांट रहे थे , आखिर इतने सालों बाद भारत आजादी के माहौल में सांसे ले रहा था।

अगली सुबह 15 अगस्त के दिन सुबह 8:00 बजे जवाहरलाल नेहरू के साथ 13 अन्य कैबिनेट मंत्रियों ने शपथ ग्रहण समारोह में शपथ ग्रहण की। के बाद पहली बार भारतीय ध्वज को संविधान सभा में फहराया गया।

आजादी के इस जश्न को मनाने के लिए 5 लाख से अधिक लोगों की भीड़ एकत्रित हो रखी थी, जिसे संभालना बहुत मुश्किल हो गया था।

शाम के समय 5:00 लॉर्ड माउंटबेटन को भारतीय ध्वज तिरंगे को फहराना था, लेकिन भीड़ इतनी अधिक थी की माउंटबेटन जिस बग्गी पर बैठे थे वह उससे नीचे उतर ही नहीं पाए। इंडिया गेट के समीप प्रिंसेस पार्क में तिरंगा फहराया गया और माउंटबेटन ने अपनी बग्गी से ही तिरंगे को सलाम किया।

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स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) से जुड़े रोचक तथ्य
स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) पर स्लोगन ( नारे) एवं कोट्स

जाते-जाते बंटवारे की नींव डाल गए थे अंग्रेज

15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी तो मिली लेकिन भारत को आजादी देने के साथ-साथ अंग्रेज जाते-जाते भारत को धर्म के आधार पर दो हिस्सों में बांट गए।

हालांकि आजादी के कुछ समय पहले से ही भारत को हिंदू-मुस्लिम के आधार पर बंटवारे का बीज बो दिया गया था, लेकिन 3 जून को विभाजन का यह प्लान ब्रिटिश संसद में पेश किया था और 18 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद द्वारा लॉर्ड माउंटबेटन के विभाजन के इस प्लान को पारित कर दिया गया।

माना जाता है कि हिंदू मुस्लिमों में पहली फूड तब पड़ी जब हिंदू महासभा द्वारा मोतीलाल नेहरू समिति की मुसलमानों के लिए सेंट्रल असेंबली में 33% सीटों पर आरक्षण देने की मांग को नकार दिया गया। उसके बाद धीरे-धीरे इसी तरह हिंदू मुस्लिमों के बीच में धार्मिक एवं राजनीतिक आधार पर विचारों में मतभेद होते रहे।

1942 में जब भारत छोड़ो आंदोलन के अंतर्गत कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता जेल में डाल दिए गए तो मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना समेत कई अन्य लोग भी सक्रिय हो गए और अंततः उन्हें इसमें सफलता भी प्राप्त हुई।

भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे की लाइन खींचने के लिए ब्रिटेन से सिरील रेडक्लिफ नामक एक अंग्रेज को बुलाया गया था जो कि इससे पहले कभी भारत नहीं आया था।

17 अगस्त 1947 को भारत पाकिस्तान के मध्य खींची गई सीमा रेखा को उन्हीं अंग्रेज के नाम पर रेडक्लिफ लाइन नाम दिया गया।

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कैसा था आजाद भारत का पहला दिन

आजादी के बाद जहां पहली बार एक ओर आजाद भारत का नया सवेरा था वहीं दूसरी ओर दिलों में विभाजन की पीड़ा एवं लहू में लिपटी धरती मां थी।

आजादी के बाद जो लोग अपने ही देश की जमी पर थे बहुत ही उत्साहित थे लेकिन वहीं जिन लोगों को अपने घर व जन्मभूमि को छोड़ विस्थापित होना पड़ा था, उनकी आंखों में नमी थी।

स्वतंत्रता दिवस कैसे मनाया जाता है | How We Celebrate Independence Day in hindi

15 अगस्त का दिन भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक दिन है। 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस को पूरे देश में राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है । 1947 में पहली बार आजादी के बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले के पास लाहौरी गेट पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को फहराया था और तब से लेकर आज तक यह परंपरा जारी है।

जिसमें सभी स्कूल कॉलेज शिक्षण संस्थान सरकारी कार्यालयों में तिरंगा फहराया जाता है।

स्वतंत्रता दिवस पर भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को स्मरण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। भारत को आजादी दिलाने में महात्मा गांधी से लेकर रानी लक्ष्मीबाई तक मंगल पांडे से लेकर सुभाष चंद्र बोस तक अनेकों देश भक्तों ने अपने अपने स्तर पर आजादी की लड़ाई लड़ी। और उनके इस प्रयासों के फलस्वरूप आज हम आजाद भारत में सांस ले रहे हैं।

स्वतंत्रता दिवस पर भाषण एवं निबंध | Essay and Speech on Independence Day in hindi

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भारत की स्वतंत्रता के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी

आज जिस आजाद भारत में हम रह रहे हैं, 200 साल पहले वहां ब्रिटिश की हुकूमत चलती थी। देश को ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्त कराने में अनेकों देशभक्तों और स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए। देश के उन्हें स्वतंत्रता सेनानियों की बदौलत हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ।

लेकिन इस आजादी को देखने के लिए उन स्वतंत्रता सेनानियों में से हजारों लोग हमारे मध्य में नहीं थे। किंतु उन्होंने अपने बलिदान से अपने आने वाली पीढ़ी के लिए स्वतंत्रता की राह सुनिश्चित की।

तो आइए जानते हैं भारत को स्वतंत्र कराने में अहम भूमिका निभाने वाले भारत के लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी कौन कौन थे?

भारत के स्वतंत्रता सेनानियों मे भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, सुभाष चंद्र बोस, वीर सावरकर, चंद्रशेखर आजाद, रानी लक्ष्मीबाई, महात्मा गांधी, सरदार पटेल, लाला लाजपत राय, तात्या टोपे, बाल गंगाधर तिलक, खुदीराम बोस, उधम सिंह ,सुचेता कृपलानी, एनी बेसेंट जैसे अनेकों नाम शामिल है।

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की प्रमुख घटनाएं

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की कई ऐसी घटनाएं हैं जिनके चलते पूरे भारत में अंग्रेजों के विरुद्ध देश एकजुट होकर इस आंदोलन में कूद पड़ा। और आजादी की इस लडाई की शुरुआत 1857 की क्रांति से मानी जाती है।

आइये जानते हैं स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाएं :

  • भारत की स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत 1857 की क्रांति से माना जाता है जो कि मेरठ स्थित छावनी से शुरू हुई थी। इस विद्रोह को सिपाही विद्रोह एवं पहला भारतीय स्वतंत्रता संग्राम भी कहा जाता है। भले ही इस विद्रोह को कुछ समय पश्चात अंग्रेजों ने दबा दिया था लेकिन इस विद्रोह के चलते भारत के कई स्थानों पर आजादी की चिंगारी सुलग चुकी थी। 1857 के प्रमुख क्रांतिकारियों में मंगल पांडे तात्या टोपे बेगम हजरत महल आदि शामिल थे।
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना : 28 दिसंबर 1885 में ए ओ ह्यूम द्वारा राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की गई, जिसके पहले अध्यक्ष दादा भाई नौरोजी को बने। इसके बाद से कांग्रेस पार्टी और अंग्रेजों के बीच वार्ता शुरू हुई जिसमें पार्टी ने अपनी शर्तों को रखना शुरू किया और धीरे-धीरे इस पार्टी के सदस्य बढ़ते चले गए
  • 1905 में बंगाल विभाजन भी स्वतंत्रता आंदोलन के उदय का प्रमुख कारण बनी। लॉर्ड कर्जन द्वारा 1905 में बंगाल में हिंदू मुस्लिमों को विभाजित कर दिया गया।
  • स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत : 1920 में हुए बंगाल विभाजन के विरोध में जनता ने स्वदेशी आंदोलन को शुरू किया। स्वदेशी आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश को भारत से उखाड़ फेंकना था। इस आंदोलन के चलते देशवासियों ने ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार किया और भारत में बनी वस्तुओं के उपयोग पर बल दिया। बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय ,रविंद्र नाथ टैगोर ने स्वदेशी आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी।
  • महात्मा गांधी का भारत वापस लौटना : 1915 में महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौटे थे। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी की अहम भूमिका रही इसी कारण उन्हें समस्त देशवासी बापू कहकर बुलाते थे।
  • जलियांवाला बाग हत्याकांड : 13 अप्रैल 1919 को जनरल डायर के कहने पर अंग्रेजो ने निहत्थे जनता पर गोलियां चलाई जिसमें हजारों मासूम बच्चे बूढ़े और महिलाएं मारी गई। इस घटना के विरोध में रविंद्र नाथ टैगोर ने अपनी नाइटहुड की उपाधि भी लौटा दी थी।
  • असहयोग आंदोलन : 1 अगस्त 1920 को महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन की शुरुआत की गई।
  • चौरी चौरा की घटना : फरवरी 1922 में गोरखपुर के चौरी चौरा थाने में सत्याग्रह यों ने मिलकर 23 पुलिस वालों को जिंदा जला दिया था जिसके बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया था।
  • भारत छोड़ो आंदोलन : 8 अगस्त 1942 को महात्मा गाँधी के नेतृत्व मे भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की गयी। जिसका मुख्य उद्देश्य था ब्रिटिश सरकार को भारत से जड़ से उखाड़ फेंकना। इस आंदोलन ने भारत की स्वतंत्रता में अहम भूमिका निभाई थी।

क्या हम सच में आजाद हैं?

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आज हम भारतीय बड़े गर्व के साथ कहते हैं कि हम आजाद हैं लेकिन अपने दिनों से पूछिए कि क्या हम आज पूरी तरह से आजाद है मणिपुर के दंगों में बेघर होने वाले अपनी जान गवाने वाले उस समाज के उस वर्ग से पूछिए क्या वह आजाद हैं? हरियाणा के नूह में घटी हिंसक घटना में मरने वाले लोगों के परिवार से पूछिए क्या वो आजाद हैं?

जवाब आपको खुद ही मिल जाएगा। आज भी हम कहीं ना कहीं अपनी रूढ़िवादी सोच हिंदू मुस्लिम, जात पात अमीर गरीब जैसे भेदभाव से भरे हुए हैं। आज भी हमारे मध्यमवर्गीय समाज में महिलाओं को अलग और पुरुषों को अलग अलग दृष्टि से देखा जाता है और उन पर अपनी सोच होती जाती है।

आखिर कब तक हमारा समाज अपनी इस तुच्छ सोच के गुलाम रहेगा। जब तक हम अपनी रूढ़िवादी सोच में जीते रहेंगे असल मायनों में तब तक हम हमारा देश स्वतंत्र नहीं होगा। स्वतंत्र होने का एक ही मार्ग है, हमें अपने समाज को शिक्षित बनाना होगा नौजवानों का सही मार्गदर्शन करना होगा। अपने दिलों से नफरत और कड़वाहट को मिटाकर समाज के हर वर्ग को समान नजर से देखते हुए उनकी स्वतंत्रता का सम्मान करना होगा।

जब देश का हर एक नागरिक बिना किसी डर के अपना जीवन यापन कर पाएगा, असल मायने में तब जाकर भारत स्वतंत्र होगा।

उम्मीद है दोस्तों, आपको स्वतंत्रता दिवस पर लिखा गया आज का यह आर्टिकल “Essay and Speech on Independence Day in hindi” पसंद आया होगा। अगर आप भारतीय इतिहास से जुड़ी किसी भी घटना के विषय में जानकारी चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बताएं।

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