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भारतीय संस्कृति में धार्मिक त्योहारों का महत्व हमेशा से ही उच्च रहा है। इन त्योहारों में से एक है ‘नागपंचमी’, जो सांपों की पूजा और उनके सामर्थ्य का मान करते हुए मनाया जाता है। यह पर्व सांपों की संरक्षा और सभी जीवों के प्रति करुणा के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।
नागपंचमी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। नाग पंचमी का त्योहार श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। जिस भी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष या पित्र दोष होता है नाग पंचमी के दिन पूजा करने से उन्हें इस दोष से मुक्ति मिलती है।
अगर आप नागपंचमी के विषय में पूरी जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें। तो आईए जानते हैं नाग पंचमी का क्या महत्व है ,नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है, नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि।
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नागपंचमी 2023: नागपंचमी क्यों मनाई जाती है और महत्व |
नाग पंचमी का त्योहार साल 2023 में 21 अगस्त को मनाया जाएगा। उत्तराखंड सहित कई राज्यों में नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। नाग देवता को समर्पित नाग पंचमी का यह दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है।
नागपंचमी का महत्वपूर्ण संदेश है कि हमें सभी जीवों के प्रति सहानुभूति और करुणा रखनी चाहिए। यह एक अवसर है जब हम सांपों को न केवल पूजते हैं, बल्कि उनके महत्व को समझते हुए उनकी सुरक्षा के लिए उपाय उठाने का प्रतिबद्ध भी होते हैं।
तो आइए जानते हैं नागपंचमी से जुड़ी हुई पूरी जानकारी-( Nagpanchami Tithi Mahatv and Pooja Vidhi | Nagpanchami kyon manayi jati hai)
नागपंचमी की तिथि एवं शुभ मुहूर्त |Nagpanchami Tithi Mahatv and Pooja Vidhi
‘नागपंचमी’ का आयोजन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को किया जाता है। इस दिन लोग सांपों की पूजा करते हैं और उन्हें दूध, दूधी, नारियल, दधी, फल आदि से भोजन कराते हैं। सांपों की मूर्तियों को सिन्दूर, मिश्री और फूलों से सजाकर पूजा की जाती है।
नाग पंचमी शुभ मुहूर्त
इस साल नागपंचमी का मुहूर्त 20 अगस्त रात्रि 12:23 से शुरू होकर 21 अगस्त को रात्रि 2:01 पर समाप्त होगी।
नागपंचमी का एक महत्वपूर्ण पहलू है सांपों का सरंक्षण और उनके प्रति दयालुता की बढ़ती हुई जागरूकता। भारत में कई प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्रों में सांपों को संरक्षित करने के उपाय अपनाए गए हैं, ताकि इन जानवरों की अवैध शिकार और वन्यजीवों के खतरे को कम किया जा सके।
यह त्योहार विभिन्न राज्यों में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। संप्रदायों और संस्कृतियों के अनुसार, नागपंचमी की परंपरा भिन्न-भिन्न तरीकों से पाली जाती है।
(Nagpanchami Tithi Mahatv and Pooja Vidhi | Nagpanchami kyon manayi jati hai)
नागपंचमी का इतिहास
नागपंचमी पर्व का इतिहास भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही मौजूद है। यह पर्व विभिन्न प्राकृतिक और सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ा हुआ है और विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है।
नागपंचमी के मनाने का प्रमुख कारण सांपों की महत्वपूर्णता और संरक्षा की दिशा में भक्ति है। हिंदू पौराणिक कथाओं में सांपों को भगवान शिव, विष्णु, ब्रह्मा आदि के अवतार के रूप में भी माना गया है।
नागपंचमी का महत्वपूर्ण इतिहासिक सन्दर्भ है काशीपुर में नागराज भस्करकेतु की कथा। इस कथा के अनुसार, भस्करकेतु नागराज ने अपनी प्रेमिका के रूप में एक युवती का रूप धारण किया था और उन्होंने एक महान तपस्या किया था। भगवान शिव की कृपा से उनका रूप पहचाना गया और उन्हें मनुष्य के रूप में पुनः प्राप्त किया गया। इस कथा के प्रसंग में नागपंचमी का महत्व बढ़ जाता है और यह भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व बन जाता है।
नागपंचमी का अन्य एक महत्वपूर्ण इतिहास सन्दर्भ है विष्णु पुराण में, जहां श्रीकृष्ण ने कहा था कि उन्होंने सभी सांपों को नियंत्रित किया था और उनके प्रति भक्ति की गई थी। इसे भगवान विष्णु के अवतार के रूप में जाना जाता है और यह भी नागपंचमी के महत्व को दर्शाता है।
Nagpanchami Tithi Mahatv and Pooja Vidhi | नागपंचमी का महत्व एवं इतिहास
नागपंचमी क्यों मनाई जाती है?
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नागपंचमी का मनाने का प्रमुख कारण है सांपों की पूजा और संरक्षा की भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण भूमिका। इसे सांपों के सामर्थ्य का मान देने और उनकी संरक्षा की दिशा में एक प्रकार की भक्ति का पर्व माना जाता है।
हिंदू पौराणिक कथाओं में सांपों को देवता के रूप में भी माना गया है। विष्णु पुराण में कहा गया है कि विष्णु जी के एक अवतार शेषनाग के रूप में आए थे और सांपों की रक्षा करते थे। इसके साथ ही, नागपंचमी का मनाने से सांपों की संरक्षा और उनके प्रति दयालुता की जागरूकता भी फैलती है।
इस त्योहार के माध्यम से लोग सांपों को अपने साथी मानते हैं और उन्हें हर्ष-उल्लास के साथ संबंधित करते हैं। यह एक अवसर है सांपों की संरक्षा और प्रेम की बढ़ती हुई महत्वपूर्णता को स्थापित करने का।
नागपंचमी की पूजा विधि
नागपंचमी की पूजा विधि विभिन्न प्रांतों और परंपराओं के आधार पर थोड़ी भिन्न हो सकती है, लेकिन यहां कुछ सामान्य चरण हैं जिनका पालन किया जा सकता है:
- स्नान: पूजा की शुरुआत में सभी श्रद्धालु स्नान करते हैं।
- लक्ष्मीपूजा: नागपंचमी के दिन श्रीलक्ष्मी माता की पूजा की जाती है क्योंकि यह उनका जन्मदिन माना जाता है।
- नागपुजा: नागों की पूजा के लिए नागमणि, कांची, मिश्रित धान्य, दूध, बेल पत्र, उपहार आदि की आवश्यकता होती है। यह विभिन्न देवताओं को अर्पित किया जाता है जिन्हें नागों का स्वरूप माना जाता है।
- नागदेवता की मूर्तियाँ और चित्र: नागपंचमी के दिन घरों में नागदेवता की मूर्तियाँ या चित्र लगाए जाते हैं।
- व्रत और उपवास: कुछ लोग इस दिन उपवास रखते हैं और विशेष प्रकार के आहार खाते हैं।
- आरती: पूजा के अंत में नागमणि की आरती की जाती है और भक्तों को प्रसाद वितरित किया जाता है।
- मंत्र जाप: नागमणि के जप या मंत्र जप की जाती है, जो नागों की कृपा को प्राप्त करने में मदद करता है।
याद रखें कि यह विधियाँ स्थानीय परंपराओं और आपकी धार्मिक आदतों पर निर्भर कर सकती हैं। इसलिए, आपके परिवार की परंपराओं और आदतों के अनुसार आपको नागपंचमी की पूजा विधि अनुकूलित करनी चाहिए।
(Nagpanchami Tithi Mahatv and Pooja Vidhi| नाग पंचमी मुहूर्त एवं पूजा विधि)
नाग पंचमी के दिन नाग पूजा के फायदे
- नाग पंचमी के दिन नाग पूजा करने से राहु केतु की दशा से मुक्ति मिलती है
- इस दिन जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष होता है उन्हें नाग पूजा करनी चाहिए । ऐसा करने से पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
- कहते हैं कि जिस व्यक्ति के अकाल मृत्यु हुई हो तो नाग पूजा करने से इससे मुक्ति मिलती है ।
- इसके अतिरिक्त नाग पंचमी के दिन सांपों की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
: इस नागपंचमी, हमें सांपों के प्रति अपनी दृष्टि को बदलकर उन्हें सहानुभूति और प्रेम से देखने का प्रयास करना चाहिए। यह त्योहार हमें एक सभ्य और जीवंत समाज की दिशा में कदम बढ़ाने का संकेत देता है।