केदारनाथ धाम का इतिहास, केदारनाथ मन्दिर इतिहास, केदारनाथ धाम के इतिहास से जुड़ी पौराणिक कथाएँ, केदारनाथ धाम की यात्रा कैसे करे, केदारनाथ से बद्रीनाथ कैसे जाएं, केदारनाथ मन्दिर के दर्शन | history of kedarnath dham in hindi, kedarnath dham ki kahani, kedarnath se badrinath kese jayen, Kedarnath Track
उतराखंड राज्य के रुद्र प्रयाग जिले मे, हिमालय पर्वत की गोद में स्थित केदारनाथ मन्दिर (धाम )भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। केदारनाथ धाम छोटा चार धाम में से एक है और इसीलिए आज हम आपके लिए लेकर आये हैं केदारनाथ मन्दिर का इतिहास ( kedarnath temple history in hindi) और उससे जुड़ी सभी जानकारी।
मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडव अपने भाइयों की हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए भगवान शिव से क्षमा मांगने उनके पास काशी गए, जहाँ उन्हें भगवान शिव के दर्शन नहीं हुए, फिर पांडव शिव की खोज में केदारनाथ चले गए जहाँ भगवान् शिव ने पांडवों को देख भैसे का रूप धारण कर लिया था।
केदारनाथ मन्दिर का इतिहास | Kedarnath dham history in hindi
उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ और केदारनाथ 2 प्रमुख तीर्थ स्थान हैं। माना जाता है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ धाम के दर्शन करता है, उसकी यात्रा निष्फल होती है। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योकिं भगवान शिव ने ही भगवान विष्णु को बद्रीनाथ में स्थान दिया था। पहले बद्रीनाथ मे भगवान शिव का ही वास था।
राहुल सांकृत्यायन के अनुसार केदारनाथ मन्दिर 12वीं , 13वीं शताब्दी पुराना है। मन्दिर की आयु के संबंध में अन्य कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है ।
कहा जाता है कि केदारनाथ धाम का निर्माण पांडवो के वंशज जन्मेजय द्वारा किया गया था। और उसके बाद आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोधार कराया था।
साल 2013 में केदारनाथ में भीषण आपदा आई थी जिसके कारण बहुत से लोगों की मृत्यु हुई थी। लोगों के घर बह गए थे, केवल मन्दिर का पुराना गुंबद और मुख्य हिस्सा ही सुरक्षित थे बाकी पूरा इलाका पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। (history of kedarnath dham in hindi| केदारनाथ धाम का इतिहास )
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बद्रीनाथ धाम की पूरी कहानी एवं रहस्य
केदारनाथ मन्दिर का इतिहास (kedarnath temple history in hindi)
- केदारनाथ मन्दिर का इतिहास | Kedarnath dham history in hindi
- केदारनाथ धाम से जुड़ी पौराणिक कथाएँ
- केदारनाथ की वास्तुकला
- केदारनाथ मन्दिर दर्शन का समय
- केदारनाथ मन्दिर पूजा का क्रम
- केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Yatra)
- केदारनाथ कैसे जाएं (How to reach Kedarnath)
- केदारनाथ मार्ग (ट्रैक ) | Kedarnath Track
- केदारनाथ से बद्रीनाथ कैसे जाएं
- केदारनाथ के समीप स्थित अन्य पर्यटक स्थान | Places near Kedarnath Temple
- FAQ’s
आदि गुरु शंकराचार्य के समय से ही मन्दिर की पूजा दक्षिण भारत के पुजारी करते आ रहे हैं, जिन्हें कि “रावल” कहा जाता है। आइये जानते हैं केदारनाथ धाम का इतिहास (History of kedarnath dham in hindi) एवं महत्व।
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केदारनाथ धाम से जुड़ी पौराणिक कथाएँ
बद्रीनाथ धाम की तरह केदारनाथ धाम से जुड़ी हुई भी कई पौराणिक कथाएँ और मान्यतायें हैं। तो अगर आप केदारनाथ धाम का इतिहास ( History of kedarnath dham in hindi) और केदारनाथ धाम से जुड़ी कथाओं को जानना चाहते हैं, तो पूरा आर्टिकल पढ़ें।
1. महाभारत के युद्ध के बाद जब पांडव भगवान शिव से क्षमा याचना करने के लिए उनकी खोज में गए तो वह भगवान शिव को खोजते खोजते केदारनाथ पहुंचे भगवान शिव ने उन्हें देख वैसे के झुंड में भैंसे का अवतार धर लिया किंतु पांडवों ने भी हार नहीं मानी और भीम ने उस भैंसों के झुंड में भगवान शिव को पहचान लिया।
तब भीम ने अपना विशाल आकार करते हुए अपने दोनों पैरों को दो पत्थरों पर फैला कर रख दिया जिसके नीचे से सभी भैंस से आगे निकल गए किंतु भगवान शिव और पहाड़ियों के बीच से नहीं निकले । भैंस के रूप में भगवान शिव उसी स्थान पर अंतर्ध्यान होने लगे तभी भीम ने उनकी पीठ को जोर से पकड़ लिया भगवान शिव ने पांडवों की भक्ति को देखकर उन्हें पाप मुक्त किया।
केदारनाथ धाम का इतिहास | history of kedarnath dham in hindi
तभी से केदारनाथ में भगवान शिव के भैंसे की पीठ की आकृति के रूप में पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि जब भगवान जब भगवान शिव इस स्थान पर अंतर्ध्यान हो गए तो उनके धड़ से ऊपर का भाग काठमांडू में प्रकट हुआ जहाँ आज “पशुपतिनाथ का मन्दिर” स्थित है।
भगवान शिव की भुजाएं तुंगनाथ में , मुख रुद्रनाथ में , नाभि मद्महेश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुए । इन पांचों स्थानों को “पंच केदार” के नाम से जाना जाता है और इन सभी स्थानों पर भगवान शिव के भव्य मंदिर बने हुए हैं।
2. एक अन्य कथा के अनुसार भगवान शिव के अवतार नर और नारायण ऋषि ने हिमालय के केदार सिंह पर तपस्या की थी और उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उनकी प्रार्थना के फल स्वरुप ज्योतिर्लिंग के रूप में इस स्थान पर वास करने का वरदान दिया।
केदारनाथ धाम का इतिहास | history of kedarnath dham in hindi जानने के बाद अब जानते हैं केदारनाथ धाम की वास्तुकला के बारे में।
केदारनाथ की वास्तुकला
केदारनाथ मंदिर की वास्तुकला अत्यंत ही आकर्षक है। केदारनाथ का यह मंदिर कत्यूरी शैली में निर्मित है।
- केदारनाथ मन्दिर के प्रवेश द्वार पर स्थित हॉल में भगवान श्री कृष्ण, पांडव, द्रौपदी, नंदी तथा अन्य देवताओं की मूर्तियाँ विद्यमान हैं।
- मन्दिर के दरवाजे के बाहर नंदी की भव्य मूर्ति स्थित है।
- केदारनाथ मन्दिर 6 फीट के ऊँचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है।
- मन्दिर में मुख्य भाग, मंडप तथा गर्भ गृह हैं, जिनके चारों ओर प्रदक्षिणा पथ है।
- मन्दिर के मुख्य रूप से 3 भाग हैं, 1. गर्भ गृह 2. मध्य भाग 3. सभा मंडप
- गर्भ गृह के मध्य में भगवान केदारनाथ का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग विराजमान है।
- ज्योतिर्लिंग पर प्राकृतिक यज्ञोपवित तथा स्फटिक माला दिखाई पड़ती है।
- ज्योतिर्लिंग के आगे के भाग में गणेश जी की मूर्ति तथा माता पार्वती का श्री यंत्र विद्यमान हैं।
- ज्योतिर्लिंग के चारों ओर चार बड़े स्तंभ विद्यमान हैं, जिन्हें 4 वेदों का प्रतीक माना जाता है। इन चार स्तंभों पर बहुत ही विशाल कमल की आकृति की मंदिर की छत टिकी हुई है। History of kedarnath dham in hindi | केदारनाथ मन्दिर का इतिहास
- मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सुंदर आकर्षक फूल और कलाकृतियों द्वारा सजाया गया है ।
History of kedarnath dham in hindi | केदारनाथ धाम का इतिहास एवं रहस्य
केदारनाथ मन्दिर दर्शन का समय
सर्दियों के समय केदारनाथ मंदिर बर्फ से ढके होने के कारण 6 महीने के लिए मंदिर के कपाट को बंद कर दिया जाता है और अन्य छह महीने मंदिर के कपाट खुले रहते हैं। केदारनाथ मंदिर के कपाट को खोलने और बंद करने के लिए मुहूर्त निकाला जाता है लेकिन सामान्यतः मंदिर के कपाट वैशाखी के बाद अप्रैल या मई के महीने में खोल दिये जाते हैं।और 15 नवंबर से पहले कपाट बंद कर दिए जाते हैं। सर्दियों के समय केदारनाथ की पंचमुखी प्रतिमा को उखीमठ में स्थापित किया जाता है। ( History of kedarnath dham in hindi)
- भगवान केदार का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए प्रातः बजे खुल जाता है।
- मंदिर में दोपहर 3:00 से 5:00 तक विशेष पूजा होती है और उसके बाद विश्राम के लिए मंदिर बंद कर दिया जाता है
- शाम को 5:00 बजे श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु मंदिर खोल दिया जाता है।
- भगवान शिव की प्रतिमा का श्रृंगार करने के बाद 7:30 से 8:30 तक निर्मित आरती की जाती है।
- रात मैं 8:30 बजे केदारनाथ मंदिर को बंद कर दिया जाता है ।
केदारनाथ मन्दिर पूजा का क्रम
History of kedarnath dham in hindi | केदारनाथ धाम का इतिहास | केदारनाथ धाम की कहानी | kedarnath dham history in hindi
केदारनाथ मंदिर की पूजा प्रातः काल शिव पिंड को प्राकृतिक रूप से स्नान कराकर और घी लगाकर किया जाता है। उसके बाद धूप और दीप जलाकर आरती की जाती है। इस समय श्रद्धालु गढवी मंदिर में प्रवेश कर पूजन कर सकते हैं संध्या के समय भगवान का श्रृंगार किया जाता है और उन्हें अलग-अलग प्रकार से सजाया जाता है। श्रद्धालु गढ़ शाम के समय केवल दूर से ही दर्शन कर सकते हैं।
केदारनाथ मंदिर की पूजा का क्रम :
- सबसे पहले प्रातः काल की पूजा ,
- महाभिषेक पूजा,
- फिर अभिषेक,
- लघु रुद्राभिषेक,
- षोड्शोपचार पूजन
- अष्टोपचार पूजन
- संपूर्ण आरती
- पांडव पूजा, गणेश पूजा, भैरव पूजा, पार्वती माँ की पूजा आदि
केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Yatra)
(केदारनाथ धाम का इतिहास | history of kedarnath dham in hindi)
हर साल छोटा चार धाम यात्रा आयोजित की जाती है जिसमें केदारनाथ यात्रा के साथ-साथ बद्रीनाथ गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा भी शामिल है। उखीमठ में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के पुजारी हिंदू पंचांग की गणना के बाद मंदिर के खुलने की तिथि तय करते हैं। (केदारनाथ धाम का इतिहास| history of kedarnath dham in hindi)
केदारनाथ मंदिर के कपाट खोलने की तिथि अक्षय तृतीया के दिन और महाशिवरात्रि पर घोषित की जाती है। मंदिर के कपाट बंद करने की तिथि दीपावली के बाद भाई दूज के दिन तय की जाती है। history of kedarnath dham in hindi
शीतकाल के समय 6 महीने के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं
केदारनाथ कैसे जाएं (How to reach Kedarnath)
केदारनाथ धाम जाने के लिए रुद्रप्रयाग से गुप्तकाशी होते हुए 20 किलोमीटर आगे गौरीकुंड तक जाना पड़ता है उसके बाद सड़क मार्ग से 16 किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद केदारनाथ पहुंचा जाता है।
दिल्ली से केदारनाथ (ट्रेन द्वारा)
अगर आप दिल्ली से केदारनाथ ट्रेन द्वारा जाना चाहते हैं तो ट्रेन द्वारा आपको केवल हरिद्वार तक ही सुविधा मिलेगी आप दिल्ली से हरिद्वार तक ट्रेन ले सकते हैं हरिद्वार के बाद आपको सड़क मार्ग से केदारनाथ जाना होगा। उसके बाद आगे मार्ग से आप हेलीकॉप्टर से केदारनाथ जा सकते हैं।
फ्लाइट द्वारा
फ्लाइट द्वारा केदारनाथ जाने के लिए आपको देहरादून या जौली ग्रांट एयरपोर्ट जाना होगा। यह एयरपोर्ट केदारनाथ से लगभग दो-तीन 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके बाद आप केदारनाथ जाने के लिए बस या टैक्सी की सर्विस ले सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा
सड़क मार्ग से केदारनाथ जाने के लिए आप दिल्ली से बस या टैक्सी बुक कर सकते हैं और दिल्ली से हरिद्वार होते हुए, रुद्रप्रयाग और रुद्रप्रयाग से केदारनाथ जाना होगा। अपनी कार से अगर आप केदारनाथ जा रहे हैं तो आप दिल्ली से कोटद्वार मार्ग भी अपना सकते हैं और कोटद्वार से पौड़ी, श्रीनगर होते हुए रुद्रप्रयाग और फिर केदारनाथ जा सकते हैं।
केदारनाथ मार्ग (ट्रैक ) | Kedarnath Track
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम की ट्रेकिंग गौरीकुंड से शुरू होती है।
गौरीकुंड से रामबाड़ा होते हुए पहला पड़ाव पड़ता है जंगल चट्टी। गौरीकुंड से जंगल चट्टी की दूरी 4 किलोमीटर है।
जंगल चट्टी से 3 किलोमीटर ट्रक की दूरी तय करके भीम बाली पड़ता है।
इसके बाद अगले 4 किलोमीटर की दूरी तय करके लिनचौली पड़ता है।
इसके बाद अगले 4 किलोमीटर की दूरी पर चौथा पड़ाव केदारनाथ बेस कैंप पड़ता है जहां पर आपको रास्ते में बहुत सारे कैंप देखने को मिलेंगे। इस मार्ग में आपको प्रकृति के सुंदर एवं मनमोहक दृश्य देखने को मिलेंगे।
और अब आपकी यात्रा का अंतिम पड़ाव केदारनाथ मन्दिर केवल 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। और केदारनाथ का यह अंतिम पड़ाव सुंदर बर्फीले मार्ग से ढका हुआ बहुत ही सुंदर दिखाई देता है।
केदारनाथ से बद्रीनाथ कैसे जाएं
History of kedarnath dham in hindi | kedarnath dham ka itihas | केदारनाथ धाम का इतिहास हिंदी में
केदारनाथ से बद्रीनाथ की दूरी लगभग 245 किलोमीटर है। जिसमें कि केदारनाथ से गौरीकुंड तक 18 किलोमीटर की पैदल ट्रैकिंग भी शामिल है। गौरीकुंड से सोनप्रयाग की दूरी 5 किलोमीटर है सोनप्रयाग में वाहनों की पार्किंग होती है।
सोनप्रयाग यानी कि केदारनाथ से बद्रीनाथ की सड़क मार्ग से दूरी तय करने में 7 से 8 घंटे का समय लगता है।
केदारनाथ से बद्रीनाथ जाने के लिए दो सड़क मार्गों का इस्तेमाल किया जा सकता है
1 . केदारनाथ के पास फाटा से
2 . गुप्तकाशी या फिर भी हेलीपैड से हेलीकॉप्टर द्वारा
( History of kedarnath dham in hindi)
केदारनाथ के समीप स्थित अन्य पर्यटक स्थान | Places near Kedarnath Temple
त्रियुगीनारायण
माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान शिव एवम माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस स्थान पर सोन प्रयाग से 5 किलोमीटर की ट्रैकिंग से पहुँचा जाता है। गौरी कुण्ड से यह स्थान 13 मीटर की दूरी पर है।
गुप्तकाशी
गुप्तकाशी को “छिपी हुई काशी” भी कहते हैं। यह वह स्थान है जहाँ भगवान शिव पांडवों से छिपे थे। यह विश्वनाथ और अर्ध नारीश्वर् मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है।
गौरी कुंड चोपता
गौरी कुंड केदारनाथ के पास स्थित एक छोटा सा गाँव है। यह मंदिर माता पार्वती को समर्पित है । मान्यता है कि इसी स्थान पर माता पार्वती ने शिव को पाने के लिए घोर तपस्या की थी। गौरीकुंड में गर्म पानी का झरना है जहां पर तीर्थयात्री स्नान करते हैं।
पंच केदार
केदारनाथ के साथ साथ आप यहाँ अन्य 4 केदारों – मद्म महेश्वर , तुंगनाथ, रुद्रनाथ तथा कल्पेश्वर् के दर्शन भी कर सकते हैं।
शंकराचार्य समाधि
कहा जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने इसी स्थान पर समाधि ली थी। यह एक शांत वातावरण वाला स्थान है।
भैरव नाथ मन्दिर
केदारनाथ मन्दिर से 1 किलोमीटर की दूरी पर भैरव नाथ मन्दिर स्थित है।
केदार गिरी पिंड
केदारगिरी पिंड केदारनाथ, केदारनाथ गुंबद और भारी कुन्था पहाड़ों से बना है, जहाँ से कई हिमनादिया बहती हैं।
वासुकी ताल
केदारनाथ मन्दिर से 6 किलोमीटर की दूरी पर वासुकी ताल स्थित है। यहाँ से चौखंबा की सुंदर चोटियों का दृश्य दिखाई देती हैं। वासु की ताल समुद्र तल से 4135 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
अगस्त्य मुनि आश्रम
अगस्तमुनि समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊँचाई पर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है। इस स्थान का नाम अगस्त्य मुनि ऋषि के नाम पर पड़ा। यहाँ पर अगस्त्य मन्दिर एवं एक शिव मन्दिर है।
गाँधी सरोवर
केदारनाथ मन्दिर के तलहटी में गाँधी सरोवर एक छोटी सी झील है। गांधी सरोवर समुद्र तल से 3900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस स्थान को चौराबाड़ी ताल के नाम से भी जाना जाता है । यहाँ पर महात्मा गाँधी की कुछ अस्थियाँ विसर्जित की गयी थी।
गांधी सरोवर की केदारनाथ मंदिर से 3 किलोमीटर की ट्रैकिंग डिस्टेंस है।
चंद्र शिला
चंद्र शिला केदारनाथ के सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है। यह समुद्र तल से 4000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
रावण को मारने के बाद भगवान राम ने यहीं पर क्षमा याचना हेतु भगवान शिव से प्रार्थना की थी।
FAQ’s
केदारनाथ मन्दिर की असली कहानी क्या है?
मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडव जब भगवान शिव की खोज में केदारनाथ पहुँचे तो , पांडवो को देखकर भगवान शिव ने भैसें का रूप धारण कर लिया था। और केदारनाथ में भगवान शिव अंतर्ध्यान हो गए थे।
केदारनाथ की उत्पत्ति कैसे हुई?
कहते हैं इस स्थान पर नर और नारायण ऋषि ने तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान्क शिव प्रकट हुए और ज्योतिर्लिंग के रूप में वहीं निवास करने लगे। केदारनाथ मन्दिर का निर्माण पांडवों के वंशज जन्मेजय द्वारा कराया गया था।
केदारनाथ मन्दिर का रहस्य क्या है?
कहते हैं भगवान शिव ने पांडवों को आता देखकर भैसें का रूप धारण कर लिया था। पांडव भगवान शिव से क्षमा मांगने उनकी खोज में यहाँ आये थे और भीम ने भगवान शिव को भैसें के रूप में पहचान लिया था ।
जिसके बाद भगवान शिव अंतर्ध्यान हो गए और उनका शरीर 5 अलग अलग स्थानों पर प्रकट हुआ, जिसे पंच केदार के नाम से जाना जाता है।
केदारनाथ किसका अवतार है?
केदारनाथ भगवान शिव का स्थान है। यहाँ पर भगवान शिव के बैल (भैस) की पीठ की आकृति की पूजा की जाती है।
केदारनाथ मन्दिर की रक्षा कौन करता है?
केदारनाथ मन्दिर की रक्षा बाबा भैरोनाथ करते है। केदारनाथ के पास बाबा भैरोनाथ का मन्दिर है।
केदारनाथ के पुजारी को क्या कहा जाता है?
केदारनाथ के पुजारी को रावल कहा जाता है। ये दक्षिण भारत के केरल से होते हैं।
दोस्तों उम्मीद है कि आप सभी को यह आर्टिकल “ History of kedarnath in hindi | kedarnath धाम का इतिहास “ पसंद आया होगा। अगर आप किसी अन्य तीर्थ से जुड़ी कोई जानकारी चाहते हैं, तो हमे comment करके बताएं।
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