अमरनाथ गुफा का इतिहास एवं रहस्य | Amarnath Temple History in hindi (Amarnath Yatra 2023)

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“तीर्थों का तीर्थ” कहलाने वाला अमरनाथ मंदिर हिंदुओं के पवित्र तीर्थ स्थानों में से एक है जो कि भगवान शिव और माँ पार्वती को समर्पित है । जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में 13600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा के दर्शन पूरे साल भर में केवल जुलाई से अगस्त के बीच में ही हो पाते हैं।

कल्हण द्वारा रचित “राजतरंगिणी” पुस्तक में अमरनाथ को ‘अमरेश्वर‘ नाम दिया गया है।

अमरनाथ यात्रा 2023 1 जुलाई से शुरू हो रही है जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो गई है। अगर आप भी अमरनाथ गुफा के दर्शन करना अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।

तो आज के इस पोस्ट में हम आपके लिए अमरनाथ मन्दिर का इतिहास, (अमरनाथ गुफा) अमरनाथ मन्दिर से जुड़े रहस्य ( amarnath temple history in hindi) एवं अमरनाथ गुफा से जुड़ी पौराणिक कथाएं।

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अमरनाथ गुफा का इतिहास एवं रहस्य (Amarnath Temple history in hindi

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अमरनाथ गुफा अत्यंत ही अद्भुत एवं अकल्पनीय है अमरनाथ दो शब्दों से मिलकर बना है। अमर और नाथ अमर यानी कि जो मर नहीं सकता और नाथ मतलब भगवान।

मान्यता के अनुसार अमरनाथ की गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को “अमरत्व का रहस्य” बताया था। इसीलिए सरकार को अमरनाथ कहा जाता है । अमरनाथ की गुफा में बनने वाले इस बर्फ के शिवलिंग को “स्वयंभू हिमानी शिवलिंग” भी कहा जाता है।

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कहते हैं कि मां पार्वती ने भगवान शिव से जब अमर होने का रहस्य पूछा तो भगवान शिव ने उन्हें अमरनाथ में ही अमर होने का रहस्य बताया था ।

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तुंगनाथ मन्दिर की महिमा एवं इतिहास

अमरनाथ गुफा की विशेषता है कि यहां पर गुफा में बर्फ़ीली बूंदों से अद्भुत तरीके से शिवलिंग का निर्माण होता है जिसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। गुफा में जो बर्फ होती है वह बहुत ही मुलायम होती है लेकिन इस शिवलिंग की रचना काफी ठोस होती है। जोकि काफी आश्चर्यजनक बात है।

अमरनाथ गुफा मैं शिवलिंग के दर्शन हेतु श्रद्धालु गण दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं और पूरे साल में लगभग 45 दिन तक ही अमरनाथ की यात्रा होती है।

वैसे तो देश में भगवान शिव को समर्पित और भी कई तीर्थ स्थान हैं, लेकिन अमरनाथ की गुफा का इतिहास (Amarnath Temple History in hindi) सबसे आप भिन्न एवं महत्वपूर्ण है।

Table of Contents
  1. अमरनाथ गुफा का इतिहास एवं रहस्य (Amarnath Temple history in hindi
  2. अमरनाथ मंदिर का इतिहास एवं रहस्य |Amarnath Temple history in hindi
    1. भगवान शिव ने माँ पार्वती को सुनाई थी अमर कथा :
  3. अमरनाथ गुफा के इतिहास से जुड़ी पौराणिक कथाएं
    1. 1. कैसे मुस्लिम चरवाहे ने की थी अमरनाथ गुफा की खोज
    2. 2. कुछ इतिहासकारों के अनुसार बूटा मलिक वाली बात को सत्य नहीं माना जाता।
  4. अमरनाथ गुफा में कैसे होता है शिवलिंग का निर्माण
  5. अमरनाथ से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं
  6. अमरनाथ से जुड़ी पौराणिक कथाएं
  7. अमरनाथ गुफा की location
  8. अमरनाथ यात्रा का समय | अमरनाथ गुफा दर्शन का समय
  9. अमरनाथ गुफा का रास्ता
  10. अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करवाएं ( How to register for Amarnath Yatra 2023)
  11. FAQ’s on “Amarnath Temple history in hindi”

अमरनाथ मंदिर का इतिहास एवं रहस्य |Amarnath Temple history in hindi

भगवान शिव ने माँ पार्वती को सुनाई थी अमर कथा :

कहा जाता है कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव के गले में मुंडमाला को देखते हुए भगवान शिव से यह प्रश्न किया कि आप मुंडमाला ही क्यों धारण करते हैं

पार्वती के इस प्रश्न पर भगवान शिव ने उन्हें उत्तर दिया कि जब भी तुम अपने शरीर को त्याग कर दोबारा जन्म लेती हो तो वह अपने गले में उतनी ही मुंडमाला को धारण करते हैं। तब पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि मैं अपना शरीर त्याग कर फिर पुनः जन्म लेती हूं किंतु आपका शरीर अमर है। उन्होंने भगवान शिव से उनकी अमर होने का रहस्य पूछा।

भगवान शिव ने पार्वती को उत्तर दिया कि इसके पीछे एक अमर कथा है उन्होंने पार्वती के इस सवाल को टालने का प्रयास किया किंतु पार्वती के बार बार पूछने पर उन्होंने पार्वती को अमर कथा सुनाने का निर्णय लिया।

माना जाता है कि भगवान शिव ने पार्वती को यह कथा अमरनाथ की गुफा में सुनाई थी और अब इस कथा के दौरान उन्होंने अमरनाथ यात्रा में आने वाले अरे किस स्थलों का वर्णन किया था और इसी कथा को बाद में अमर कथा के नाम से जाना गया।

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अमरनाथ गुफा के इतिहास से जुड़ी पौराणिक कथाएं

अमरनाथ गुफा की खोज को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित है जिसमें सभी लोगों के अलग-अलग प्रकार के मत हैं। अधिकांश लोगों का मानना है कि अमरनाथ गुफा की खोज एक मुस्लिम गडरिया ने की थी लेकिन कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह सत्य नहीं है। उनके अनुसार पुरातत्वविदों ने अमरनाथ गुफा का पता लगाया था।

तो आइए जानते हैं अमरनाथ गुफा के इतिहास से जुड़ी पौराणिक कथाएं एवं मान्यताएं क्या-क्या है ?

1. कैसे मुस्लिम चरवाहे ने की थी अमरनाथ गुफा की खोज

अमरनाथ गुफा के इतिहास (Amarnath Temple History in hindi) और गुफा की खोज के विषय में के बात करें तो –

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मान्यताओं के अनुसार 1850 में बूटा मलिक नाम के एक मुस्लिम चरवाहे ने सबसे पहले अमरनाथ गुफा के बारे में सब को बताया था। बूटा मलिक अत्यंत ही विनम्र और दयालु स्वभाव का था एक दिन वह अपनी पेड़ चलाते हुए काफी दूर निकल गया।

पहाड़ पर जाते हुए बूटा की भेंट एक साधु से हुई उन साधुओं ने बूटा को कोयले से भरी हुई एक कांगड़ी दी जब बूट हाउस कांगड़ी को लेकर अपने घर पहुंचा तो उसने देखा कि कांगड़ी में कोयले की जगह सोना भरा हुआ था वह उन साधुओं को धन्यवाद देने के लिए पुनः उसी स्थान पर गया लेकिन वहां पर कोई साधु नहीं थे बल्कि वहां पर एक गुफा थी।

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उसके बाद बूटा ने अपने साथियों को उस गुफा के बारे में बताया। उस गुफा में जब बुटाने अंदर जाकर देखा तो वहां पर बर्फ से बनी हुई एक सफेद शिवलिंग थी।

कहते हैं कि बूटा मलिक के वंशज धर्मस्थल के संरक्षक थे। इस घटना के 3 साल बाद से अमरनाथ की पहली यात्रा शुरू हुई थी और इस प्रकार अमरनाथ यात्रा का क्रम चल रहा है।

2. कुछ इतिहासकारों के अनुसार बूटा मलिक वाली बात को सत्य नहीं माना जाता।

इतिहासकारों का मानना है कि 1869 में अमरनाथ की गुफा की फिर से खोज की गई थी एवं इसके 3 साल बाद 1872 में पहली औपचारिक यात्रा आयोजित की गयी थी। इतिहासकारों का मानना है कि बूटा मलिक द्वारा अमरनाथ गुफा की खोज में सत्य नहीं है। यह लोगों द्वारा फैलाई गई अफवाह है जिसने धीरे-धीरे सच का स्वरूप ले लिया।

अमरनाथ गुफा में कैसे होता है शिवलिंग का निर्माण

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अमरनाथ गुफा में निर्मित शिवलिंग

अमरनाथ गुफा में अचंभित करने वाली बात यह है कि यहां पर पानी की बूंदों के टपकने से 10 फीट लंबे शिवलिंग का निर्माण होता है जोकि आश्चर्यचकित करने वाला है।

क्योंकि पानी की बूंदे केवल एक ही स्थान पर नहीं टपकती बल्कि अलग-अलग स्थानों पर टपकती है लेकिन शिवलिंग का निर्माण केवल एक ही स्थान पर होता है।

कहते हैं कि यहां पर दो शिवलिंग का निर्माण होता है वह चंद्रमा की कलाओं के साथ घटता और बढ़ता रहता है तथा श्रावण पूर्णिमा को यह शिवलिंग अपने पूरे आकार में आ जाता है और फिर अमावस्या तक यह शिवलिंग का आकार धीरे-धीरे छोटा होता चला जाता है।

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अमरनाथ से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं

  1. अंग्रेजी लेखक लॉरेंस ने अपनी पुस्तक ” वैली ऑफ कश्मीर में लिखा है की अमरनाथ यात्रा को पहले मट्टन के कश्मीरी ब्राह्मण करवाते थे। उसके बाद बटपुड के मालिकों ने अमरनाथ यात्रा की जिम्मेदारी को लिया। अमरनाथ यात्रा के मार्ग को बनाए रखने की जिम्मेदारी मलिकों की ही थी। इसलिए उन्होंने इस काम की जिम्मेदारी भी ले ली। मलिक लोग श्रद्धालुओं की यात्रा में सहायता करते थे तथा बूढ़े लोगों को गुफा तक पहुंचाते थे। कहा जाता है कि इसी कारण से आज भी मंदिर का एक चौथाई चढ़ावा मलिक मुसलमानों के वंशजों को जाता है। ( Amarnath Temple history in hindi |Amarnath Yatra 2023 registration)
  2. कहा जाता है कि मध्यकाल में अनेकों विदेशी आक्रमणकारियों जैसे ईरानी और तुर्कीयों ने कश्मीर की घाटी पर आक्रमण किए थे। इस कारण हिंदुओं ने वहां से पलायन कर लिया था। की सबसे पहले आक्रमणकारियों ने पहल गांव को अपना निशाना बनाया था क्योंकि इसकी प्रसिद्धि इसराइल तक थी।
  3. पौराणिक मान्यता है कि एक बार कश्मीर की घाटी जलमग्न हो गई थी और कश्मीर की घाटी ने बड़े जलाशय का रूप ले लिया था उस समय ऋषि कश्यप ने प्राणियों की रक्षा हेतु इस बड़े जलाशय को छोटी छोटी नदियों में विभाजित कर जल को बहा दिया था। इसी समय ऋषि भृगु हिमालय पर्वत की यात्रा कर रहे थे, इस दौरान जब ऐसे स्थान से गुजर रहे थे तो हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं में जलस्तर कम हो गया था और उन्होंने उन पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य अमरनाथ की गुफा और शिवलिंग को देखा। और तब से यह स्थान शिव आराधना का एक पवित्र तीर्थ बन गया।
  4. कहते हैं चौधरी शताब्दी के मध्य से लगभग 300 सालों तक अमरनाथ की यात्रा बाधित रही । उसके बाद कश्मीर शासक जैनुलबुद्दीन ने अमरनाथ की यात्रा की।

अमरनाथ से जुड़ी पौराणिक कथाएं

अमरनाथ से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। अमरनाथ गुफा के क्यों का पता तो कभी तो पूरी तरह से नहीं चल पाया है लेकिन गुफा से जुड़ी कुछ मान्यताएं एवं पौराणिक कथाएं इस प्रकार है-

  • अमर पक्षी का जोड़ा : कहते हैं कि जब भगवान शिव में मां पार्वती को अमर कथा सुनाई थी तो उस समय वहां पर कोई भी मौजूद नहीं था लेकिन एक कबूतर का जोड़ा उस कथा को सुन रहा था जो कि आज भी जीवित है और इन्हें “अमर पक्षी” के नाम से जाना जाता है।
  • कहते है कि जिन श्रद्धालुओं को कबूतर का यह जोड़ा दिखाई देता है उन्हें शिव पार्वती के प्रत्यक्ष दर्शनों की अनुभूति होती है।

अमरनाथ गुफा की location

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हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल अमरनाथ(Amarnath temple) जम्मू कश्मीर श्रीनगर में स्थित है। अमरनाथ गुफा श्रीनगर शहर से उत्तर पूर्व में लगभग 135 किलोमीटर की दूरी पर तथा समुद्र तल से 13600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक अमरनाथ गुफा की लंबाई 19 मीटर तथा चौड़ाई 16 मीटर एवं ऊंचाई 11 मीटर है

आइए जानते हैं अमरनाथ मंदिर और अमरनाथ गुफा से जुड़े रहस्य (Amarnath temple history in hindi) के बारे में

अमरनाथ यात्रा का समय | अमरनाथ गुफा दर्शन का समय

अमरनाथ यात्रा पूरे साल में केवल 4 महीने के लिए ही खुला होता है। क्योंकि यहां पूरे साल पर बर्फ जमी होती है। (Amarnath Temple history in hindi |Amarnath Yatra 2023 registration)

अमरनाथ यात्रा श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु आषाढ़ पूर्णिमा से रक्षाबंधन तक सावन के महीने में खुला होता है।

अमरनाथ गुफा का रास्ता

अमरनाथ यात्रा के लिए श्रीनगर या पहलगाम से पैदल ही यात्रा करनी पड़ती है। यहां से इस यात्रा में 5 दिन लगते हैं। पहलगाम से अमरनाथ गुफा तक की यात्रा 34 किलोमीटर है।

इसके लिए आप जब मैं कश्मीर में प्राइवेट टैक्सी भी कर सकते हैं या फिर राज्य परिवहन निगम और प्राइवेट डांस ट्रांसपोर्ट से जम्मू से पहलगाम और बालटाल तक की यात्रा कर सकते हैं।

बालटाल से जो रास्ता शुरू होता है वह लगभग 16 किलोमीटर लंबा एवं बहुत ही मुश्किल है क्योंकि इस रास्ते में काफी चढ़ाई है।

यह रास्ता बालताल से शुरू होते हुए डोमिअल, बरारी और संगम से होते हुए अमरनाथ की गुफा तक पहुंचता है। इस रास्ते में आपको अमरनाथ घाटी एवं अमरावती नदी भी देखने को मिलेगी जो कि अमरनाथ ग्लेशियर से जुड़ी हुई है।

अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करवाएं ( How to register for Amarnath Yatra 2023)

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अमरनाथ यात्रा के लिए सरकार ने 10 अप्रैल को schedule जारी कर किया था और के लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस 17 अप्रैल से शुरू हो चुके हैं।

अमरनाथ यात्रा 2023 की शुरुआत 1 जुलाई से होने जा रही है जो कि रक्षाबंधन 30 अगस्त पर समाप्त हो जाएगी। अमरनाथ यात्रा के लिए सरकार ने उम्र भी निर्धारित कर रखी है जिसके अंतर्गत 13 साल से लेकर 75 साल के बीच के व्यक्ति अमरनाथ यात्रा के लिए पंजीकरण करवा सकते हैं।

अमरनाथ यात्रा से जुड़ी अन्य किसी भी जानकारी के लिए आप इसकी अधिकारिक वेबसाइट jksasb.nic.in पर जा सकते हैं।

उम्मीद है कि आपको हिंदुओ के पवित्र तीर्थ स्थान अमरनाथ मंदिर के इतिहास एवं रहस्य ( Amarnath Temple history in hindi) के विषय में जानकारी पसंद आई होगी। अगर आपको ऊपर दी गई जानकारी पसंद आई हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

FAQ’s on “Amarnath Temple history in hindi”

अमरनाथ मंदिर (अमरनाथ की गुफा ) कहाँ स्थित है ?

अमरनाथ मंदिर जम्मू कश्मीर के श्रीनगर से 135 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है

अमरनाथ मंदिर की समुद्र तल से ऊंचाई कितनी है?

अमरनाथ की समुद्र तल से ऊंचाई 13600 फुट है।

अमरनाथ गुफा यात्रा का पहला पड़ाव क्या है

पहलगाव

image source : Zee News

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