(Uttrakhand Foundation day 2023,Uttrakhand Rajya sthapna Divas 2023,History and Facts)
देवभूमि कही जाने वाली उत्तराखण्ड की भूमि 9 November 2000 को कई सालों के संघर्ष के बाद अस्तित्व में आयी। इसलिए 9 November को उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस ( Uttrakhand Foundation Day ) मनाया जाता है और आज उत्तराखंड निर्माण के 23 साल पूरे हो चुके हैं।
उत्तराखंड में प्राचीन समय से ही धार्मिक एवं पौराणिक मान्यताओं का वास रहा है, इसीलिए उत्तराखंड को “देवताओं की भूमि” कहा जाता है। प्रमुख तीर्थ स्थान बद्रीनाथ केदारनाथ गंगोत्री यमुनोत्री देवप्रयाग ऋषिकेश व पंच प्रयाग स्थित है । सबसे पवित्र नदी गंगा का उद्गम स्थान गंगोत्री उत्तराखंड में ही स्थित है ।
उत्तराखंड को नया राज्य बनाने को लेकर कई सालों तक संघर्ष चलता रहा और अंततः 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड भारत के 27वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया ।
उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर जानते हैं उत्तराखंड से जुड़े कछ खास बातें
उत्तराखंड का प्राचीन नाम
यह तो हम सभी जानते हैं कि उत्तराखंड को पहले उत्तरांचल नाम से जाना जाता था। सन 2000 से सन 2006 तक उत्तराखंड को उत्तरांचल नाम से जाना जाता था फिर 1 जनवरी 2007 को उत्तरांचल से नाम बदलकर उत्तराखंड नाम कर दिया गया।
उत्तराखंड का अर्थ है उत्तरी क्षेत्र या उत्तरी शहर। उत्तराखंड की हरी-भरी वादियां पर्वतों और नदियों से घिरी हुई है। पर्वतों की रानी मसूरी भी उत्तराखंड में स्थित है।
उत्तराखंड के 23वें राज्य स्थापना दिवस (Uttrakhand Foundation day) के अवसर पर नजर डालते हैं उत्तराखंड के इतिहास और उत्तराखंड से जुड़े कुछ खास बातों पर।
उत्तराखंड की सीमाएं
- उत्तराखंड के उत्तरी सीमा में तिब्बत स्थित है।
- पूर्वी सीमा में नेपाल स्थित है।
- पश्चिमी सीमा में हिमाचल स्थित है।
- वह दक्षिण में उत्तर प्रदेश स्थित है ।
उतराखंड राज्य आंदोलन का इतिहास (History of Uttrakhand State Movement)
स्वतंत्रता के बाद उत्तराखंड में एक और आंदोलन की आवाज बुलंद हुई और वो आवाज थी उतराखंड को पृथक राज्य बनाने को लेकर मांग। उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने को लेकर जो आंदोलन हुआ उसे हम उत्तराखंड राज्य आंदोलन के नाम से जानते हैं। जिसके फल स्वरूप 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड बना और उत्तराखंड राज्य दिवस (Uttrakhand Foundation Day) मनाया जाने लगा।
उत्तराखंड पहले उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा था लेकिन उत्तराखंड का अधिकार क्षेत्र पहाड़ी भाग था । विकास को लेकर पहाड़ी क्षेत्र के लोगों ने अलग राज्य की मांग करना शुरू कर दिया था।
भारत की आजादी से पहले भी उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने की मांग की जा रही थी लेकिन जनता की इस मांग को अनसुना कर दिया गया था।
- 1897 में सबसे पहले उत्तराखंड के अलग राज्य बनाने की मांग उठाई गई थी।
- उसके बाद 1938 में कांग्रेस के श्रीनगर गढ़वाल अधिवेशन के दौरान उत्तराखंड को लेकर मांग उठी।
- उस समय कांग्रेसी नेताओं के साथ-साथ जवाहरलाल नेहरू ने भी आंदोलन का समर्थन किया ।
- सन् 1938 श्री देव सुमन ने अलग राज्य की मांग को लेकर दिल्ली में “गढ़देश सेवा संघ” नाम का एक संगठन बनाया, जिसका नाम कुछ समय बाद बदलकर “हिमालय सेवा संघ” कर दिया गया।
- और देखते ही देखते 1944 तक आते – आते यह आंदोलन एक जन आंदोलन के रूप में बदल गया।
- 15 अगस्त 1996 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री “एच डी देवगौड़ा” ने लालकिले से उत्तराखंड राज्य के निर्माण की घोषणा की।
- 1998 में केंद्र की भाजपा सरकार ने उत्तराखंड राज्य संबंधी विधेयक उत्तर प्रदेश विधानसभा को सहमति के लिए भेजा लेकिन लोकसभा में सरकार गिर जाने के कारण प्रस्ताव पास नहीं हो पाया।
- 27 जुलाई 2000 को भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के बाद लोकसभा में उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2000 के नाम से पुनः विधेयक को भेजा।
- 1 अगस्त को विधेयक लोकसभा में तथा 10 अगस्त को विधेयक राज्यसभा में पारित हुआ। 28 अगस्त 2000 को राष्ट्रपति केआर नारायणन ने विधेयक को मंजूरी दे दी।
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उत्तराखंड से जुड़े रोचक तथ्य | Intresting Facts about Uttrakhand
(Uttrakhand Foundation Day 2022)
- केदारनाथ, जो कि चार धाम यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, उत्तराखंड में ही स्थित है। इसके अतिरिक्त गंगोत्री, यमनोत्री, हरिद्वार व ऋषिकेश जैसे धार्मिक स्थान स्थित हैं।
- भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान “जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान” जो कि 1000 साल पुराना है, वह भी उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित है।
- भारत का सबसे ऊँचा बांध “टिहरी बांध” भी यहीं स्थित है। यह बांध भागीरथी नदी पर बना है। यहाँ से उत्पन्न बिजली पंजाब, हरियाणा और दिल्ली तक पहुँचाई जाती है।
- माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराने वाली पहली भारतीय महिला “बचेंद्री पाल” उत्तरकाशी की रहने वाली थी।
22 सालों में उत्तराखंड के विकास की कहानी (Develpoment of Uttrakhand in 23 Years)
स्थापना के 23 सालों (Uttrakhand Foundation day ) बाद अगर हम उत्तराखंड की स्थिति पर नजर डालें तो हम देखते हैं कि यहाँ की सड़कों का, उद्योगों का तथा शिक्षा के क्षेत्र में भले ही विकास कार्य प्रगति पर हो लेकिन स्वास्थ्य और रोजगार की दिशा में कुछ खास प्रयास नहीं किये गए।
सड़कों का विकास
उत्तराखंड निर्माण के बाद यहाँ की सड़कों का तेजी से विकास देखने को मिला । चार धाम यात्रा का रूट “ऑल वेदर प्रोजेक्ट” के जरिए यहाँ की सड़कों का भी विकास देखने को मिला। इसके अतिरिक्त गाँव गाँव तक सड़कों का विकास हुआ । जिसके ज़रिए यातायात की समस्या में सुविधा मिली।
उद्योग के क्षेत्र में विकास
क्षेत्र में विकास की दिशा में उत्तराखंड में सिडकुल की स्थापना की गई जिसके अंतर्गत लगभग 5000 मध्यम तथा बड़े वर्ग के उद्योगों को स्थापित किया गया। एन डी तिवारी के सरकार के दौरान उद्योगों को नई दिशा मिली लेकिन अभी भी बेरोजगारी को देखते हुए उद्योगों के विकास की गति को तीव्र करने की जरूरत है।
हर घर तक बिजली पानी की सुविधा
उत्तराखंड को बने हुए 22 साल पूरे हो चुके हैं और आज उत्तराखंड 23 वें साल में प्रवेश कर चुका है। In 22 सालों में जो एक सुविधा गाँव गाँव के लोगों तक पहुची है, वो है बिजली और पानी की सुविधा। हर घर बिजली अभियान के जरिए केंद्र सरकार ने घर घर तक बिजली कि सुविधा मुहैया करायी है। इसके साथ गांव गांव तक पानी के कनेक्शन पहुंचाई है।
image Source : UK Academy, hindi. Latestly.com
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