देश में एकता के स्वर को बुलंद करने वाले भारत के लौह पुरुष सरदार पटेल(Sardar Patel) , स्वतंत्र भारत के पहले उप प्रधानमंत्री तथा पहले गृहमंत्री बने। सरदार वल्लभभाई पटेल ने स्वतंत्र भारत के 500 से अधिक देसी रियासतों को संगठित कर देश को एक सूत्र में पिरो कर राष्ट्र को एकता का संदेश दिया।
सरदार पटेल ने न केवल भारत को स्वतंत्र कराने में अपना योगदान दिया बल्कि स्वतंत्र भारत की अखंडता को बनाए रखने के लिए 562 देसी रियासतों का भारत में विलीनीकरण किया।
सरदार पटेल की दृडता और एकता की भावना को देश के युवाओं तक पहुँचाने के लिए हर साल हम राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) मनाते हैं।
- सरदार पटेल का जीवन परिचय (Sardar Patel Biography)
- सरदार पटेल का आरंभिक जीवन , जन्म एवं परिवार(Early Life of Sardar Patel,Birth and Family)
- सरदार वल्लभ भाई पटेल की शिक्षा (Education of Sardar Patel)
- सरदार पटेल का वैवाहिक जीवन (Sardar Patel Marriage)
- सरदार पटेल का इंग्लैंड जाने का सपना
- स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल की भूमिका
- सरदार पटेल का राजनीतिक करियर (Sardar Patel Political Career)
- सरदार पटेल द्वारा राष्ट्र का एकीकरण ( Sardar Patel dwara Rashtra ka ekikaran)
- भारत के गृहमंत्री के रूप में सरदार पटेल के कार्य (Sardar Patel as Home Minister)
- सरदार पटेल पर महात्मा गांधी का प्रभाव (Impact of Gandhi ji on Sardar Patel)
- सरदार पटेल के विचार तथा नारे| Sardar Patel Slogan and Quotes in hindi
- सरदार पटेल की मृत्यु (Sardar Patel Death Anniversary)
- पुरुस्कार एवं सम्मान (Sardar Patel Awards)
- Statue Of Unity (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी)
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से जुड़े कुछ खास बिंदु (Important points about Statue Of Unity)
सरदार पटेल का जीवन परिचय (Sardar Patel Biography)
जन्म (Date of Birth) | 31 October 1875 |
पूरा नाम (Full Name) | वल्लभ भाई झावेर भाई पटेल |
पिता (Father) | झावेर भाई पटेल |
माता (Mother) | लड़बा |
भाई (Brother) | सोमाभाई, नरशीभाई, काशी भाई |
बहन (Sister) | दहीबेन |
पत्नी (Wife) | झवेरबा |
बेटा (Son) | दयाभाई |
बेटी | मणिबेन |
शिक्षा (Education) | कानून की डिग्री |
कॉलेज(collage) | इंस ऑफ कोर्ट, लंदन, इंग्लैंड |
पेशा (occupation) | बैरिस्टर, राजनीतिज्ञ, समाज सेवक |
राजनीतिक पार्टी | राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी |
आंदोलन | खेड़ा आंदोलन, |
निक नाम (Nick Name) | सरदार पटेल |
प्रसिद्धि (Famous) | लौह पुरुष, बिस्मार्क ऑफ इंडिया |
सम्मान (Awards) | भारत रत्न |
सरदार पटेल का आरंभिक जीवन , जन्म एवं परिवार(Early Life of Sardar Patel,Birth and Family)
लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाद में हुआ था। उनकी वास्तविक जन्म तिथि का कोई प्रमाण नहीं था, 31 अक्टूबर की तिथि उनकी मैट्रिक के परीक्षा पेपर से ली गयी है।
वे एक किसान परिवार में जन्मे थे और उनकी माता एक अध्यात्मिक महिला थी।
सरदार पटेल के पिता 1857 के विद्रोह के समय “झांसी की रानी लक्ष्मी बाई” की सैना में थे।
सरदार पटेल अपने माता- पिता के चौथे बेटे थे।
सरदार वल्लभ भाई पटेल की शिक्षा (Education of Sardar Patel)
सरदार पटेल ने अपनी आरंभिक शिक्षा गुजराती मीडियम स्कूल से ही की और इसके बाद उन्होंने इंग्लिश मीडियम स्कूल में एडमिशन ले लिया।
जब वे 22 साल के थे तब उन्होंने अपनी 10 वीं की परीक्षा पास कर ली थी।
बाद में परिवारिक स्थिति सही ना होने के कारण उन्होंने घर पर रहकर ही अपनी पढाई जारी रखी। उन्होंने दूसरों से किताबें उधार लेकर पढाई की और साथ ही जिलाधिकारी की परीक्षा की तैयारी भी की जिसमें उन्होंने सबसे अधिक अंक प्राप्त किये।
सरदार पटेल कानून की पढाई करने के लिए इंग्लैंड जाना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने पहले से धन एकत्रित करना शुरू कर दिया था। उन्होंने कानून की किताबें उधार लेकर पढाई की और डिस्ट्रिक प्लीडर की परीक्षा पास की।
अपने बड़े भाई के सपनों के लिए खुद का सपना त्याग दिया।
सरदार पटेल ने काफी मेहनत करके और बहुत समय लगा कर कई महीनों तक पैसे जमा किए उधार लेकर पढ़ाई की ताकि वह अपना इंग्लैंड जाकर कानून की पढ़ाई करने का सपना पूरा कर सकें।
और जब इंग्लैंड जाने का समय आया तो उन्हें पता चला कि उनके बड़े भाई विट्ठल भाई पटेल का भी इंग्लैंड जाकर पढ़ाई करने का मन है और उनके माता-पिता की भी यही इच्छा थी कि उनका बड़ा भाई इंग्लैंड जाकर पढ़ाई करें जिससे उनकी माता पिता को घर में भी सहयोग मिले।
सरदार पटेल के टिकट पर उनका शार्ट नाम वीजे पटेल लिखा हुआ था और उनके सिग्नेचर भी उनके भाई के सिग्नेचर के समान थे।
अपने बड़े भाई और अपने माता पिता की इच्छाओं को देते हुए सरदार पटेल ने बहुत सोच विचार किया और यह निर्णय लिया कि उन्हें खुद इंग्लैंड ना जाकर अपने बड़े भाई को इंग्लैंड पढ़ने के लिए भेज देना चाहिए।
और पटेल ने अपने सपनों को त्यागकर अपने बड़े भाई विट्ठल भाई पटेल को इंग्लैण्ड भेज दिया।
सरदार पटेल का वैवाहिक जीवन (Sardar Patel Marriage)
सरदार पटेल केवल 16 साल के थे जब उनका विवाह झवेरबा के साथ हुआ। 1904 में उन्होंने एक बेटी मणि को जन्म दिया और 1905 में एक बेटे दहिया को जन्म दिया।
1909 में मात्र 29 साल की उम्र में,एक बीमारी के चलते झवेरबा का ऑपरेशन के दौरान देहांत हो गया।
सरदार पटेल और समय अदालत में 21 लौट रहे थे और तभी उन्हें अपनी पत्नी की मृत्यु की खबर मिली लेकिन उन्होंने वह नोट पढ़कर भी अनदेखा कर दिया और तब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जब तक उनका केस कोर्ट में चलता रहा । अपने मामले को कोर्ट में रखने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी की मृत्यु पर प्रतिक्रिया जाहिर की।
जब सरदार पटेल की पत्नी की मृत्यु हुई तो उनके बच्चों की उम्र केवल 3 और 5 साल थी। उनके परिवार ने उन्हें दोबारा शादी करने को कहा लेकिन पटेल ने मना कर दिया और अपने परिवार की सहायता से अपने बच्चों का पालन पोषण किया।
सरदार पटेल का इंग्लैंड जाने का सपना
1911 में अपनी पत्नी की मृत्यु के 2 साल बाद सरदार पटेल कानून (लॉ ) की डिग्री करने इंग्लैण्ड चले गए और वहां के एक कॉलेज में दाखिला ले लिया।
पटेल इतने होनहार और काबिल थे कि कॉलेज का अनुभव ना होने के बाद भी उन्होंने अपना 36 महीने का लॉ का कोर्स केवल 30 महीने में पूरा कर लिया। और कोर्स को ना सिर्फ पूरा किया बल्कि सबसे ज्यादा अंक लाकर कॉलेज टॉप किया।
भारत वापसी के बाद पटेल अहमदाबाद में बस गए और अहमदाबाद के सबसे सफल बैरिस्टरों में से एक थे।
स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल की भूमिका
सरदार पटेल जब इंग्लैंड से वापस भारत लौटे तो उन पर पाश्चात्य सभ्यता का काफी प्रभाव दिखाई पड़ता था वह अधिकांशतः सूट बूट पहने हुए होते थे और बोलचाल में ज्यादातर अंग्रेजी का प्रयोग करते थे।
लेकिन जब सरदार पटेल 1917 में महात्मा गांधी से मिले तो उनके विचारों से प्रभावित होकर वह समाज सेवा के कार्यों और स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े ।
सरदार पटेल को शुरू से ही राजनीति में कोई खास दिलचस्पी नहीं था लेकिन 1917 में वह गोधरा में जब महात्मा गांधी से मिले तो इस मुलाकात ने उनके जीवन की दिशा को ही बदल दिया।
सरदार पटेल ने खेड़ा आंदोलन, बारदोली आंदोलन असहयोग आंदोलन व भारत छोड़ो आंदोलन में अहम भूमिका निभाई।
जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद सरदार पटेल ने पाश्चात्य संस्कृति के विरोध में अंग्रेजी कपड़ों को त्याग कर खादी कपड़ों का पहनना शुरू कर दिया।
नमक सत्याग्रह के दौरान सरदार पटेल को 7 मार्च 1930 को गिरफ्तार किया गया था।
खेड़ा आंदोलन :
1917 में जब अत्यधिक वर्षा के कारण खेड़ा में किसानों की फसलें नष्ट हो गई थी तो अंग्रेज हुकूमत किसानों को कर देने के लिए बाध्य कर रही थी। उस समय सरदार पटेल ने गांधी जी के कहने पर अपनी नौकरी दी तथा गांधी जी के साथ मिलकर किसानों को साथ दिया।
सरदार पटेल और गांधी जी ने मिलकर किसानों को करना देने के लिए प्रेरित किया और अंग्रेजों को उनकी यह बात माननी पड़ी।
और यह आंदोलन खेड़ा आंदोलन के नाम से जाना गया, जिसमें किसानों की जीत हुई।
बारदोली आंदोलन ( सरदार पटेल को सरदार की उपाधि कैसे मिली) :
बारदोली आंदोलन या बारदोली सत्याग्रह 1928 में गुजरात के एक प्रमुख किसान आंदोलन में से एक था। जिसका नेतृत्व सरदार वल्लभभाई पटेल ने किया।
सरकार ने किसानों के लगा में 22% कर वृद्धि कर दी थी जिसका सरदार पटेल ने बहुत विरोध किया।
अंततः एक राजस्व अधिकारी के द्वारा मामले की जांच की गई और 22% कर को गलत ठहरा कर 6.03% कर दिया गया।
इस आंदोलन की सफलता के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि दी जिसका अर्थ होता है मुखिया।
असहयोग आंदोलन (Sardar Patel in asahayog andolan) :
1920 में सरदार पटेल ने गांधी जी के साथ असहयोग आंदोलन में शामिल होकर पूरे देश का भ्रमण किया और 300000 सदस्यों की भर्ती के लिए पश्चिम भारत की यात्रा की।
भारत छोड़ो आंदोलन :
1942 में आंदोलन आंदोलन के दौरान सरदार पटेल को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया था इसमें सरदार पटेल कांग्रेस के अन्य कार्यकर्ताओं के साथ अहमदनगर के किले में कैद थे।
सरदार पटेल का राजनीतिक करियर (Sardar Patel Political Career)
1920 में सरदार पटेल गुजरात कांग्रेस में शामिल हो गए
इसके बाद 1922 से 1927 तक सरदार पटेल अहमदाबाद नगर निगम के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहे
1930 में इन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया।
सरदार पटेल द्वारा राष्ट्र का एकीकरण ( Sardar Patel dwara Rashtra ka ekikaran)
जब भारत अंग्रेजों की 200 साल की गुलामी से आजाद हुआ तो भारत पाकिस्तान के बंटवारे को लेकर बहुत गंभीर माहौल था।बंटवारे में बहुत से लोग अपने घरों से बेघर हो गए थे।
उस समय हमारा देश छोटी- छोटी रियासतों में बँटा हुआ था , जिनमें अलग – अलग राजाओं का राज था। ऐसे में इन राजाओं को एक देश में मिलाना कोई आसान काम नहीं था। छोटी -बड़ी मिलाकर कुल 562 रियासतों को भारत में विलय करना था।
सरदार पटेल ने सभी को विश्वास दिलाया और बिना किसी सैन्य बल के सभी रियासतों को भारत में मिलाया। जिनमें हैदराबाद भारत में शामिल होने के लिए तैयार नहीं था।
ऑपरेशन पोलो क्या था?
हैदराबाद को भारत में मिलाने के लिए सरदार पटेल द्वारा ऑपरेशन पोलो चलाया गया था।
- हैदराबाद पहले से ही एक समृद्ध राज्य था इसलिए हैदराबाद के अंतिम निजाम मीर उस्मान अली खान भारत में अपने राज्य को ना मिलाकर एक स्वतंत्र राज्य के रूप में शासन करना चाहते थे।
- 13 सितंबर 1948 को भारतीय सेना ने ऑपरेशन पोलो के तहत हैदराबाद में मार्च करना शुरू कर दिया। और इस ऑपरेशन के 100 घंटे के भीतर ही हैदराबाद के निजाम ने युद्ध विराम की घोषणा कर दी।
- 18 अंबर 1948 के दिन शाम के 4:00 बजे हैदराबाद के मेजर जनरल एड्रेस में भारतीय सेना के मेजर के सामने औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण कर दिया। और इस तरह 3 से 4 दिनों के भीतर सरदार पटेल की नीति के कारण हैदराबाद का भी भारत में विलय हो गया।
- सरदार पटेल की इसी दृढ़ निश्चय के कारण उन्हें लोह पुरुष कहा गया।
जूनागढ़ और भोपाल का भारत में विलय :
- हैदराबाद के अतिरिक्त दो अन्य राज्य जूनागढ़ और भोपाल पहले पाकिस्तान में शामिल होना चाहते थे किंतु सरदार पटेल की नीतियों ने उन्हें भारत में शामिल होने पर मजबूर कर दिया।
- जूनागढ़ के शासक पाकिस्तान में शामिल होना चाहते थे लेकिन जूनागढ़ की जनता भारत में शामिल होना चाहती थी। सरदार पटेल ने जूनागढ़ में सैना भेजी और जूनागढ़ के शासक ने घबराकर भारत में विलय होने के लिए सहमति जता दी।
भारत के गृहमंत्री के रूप में सरदार पटेल के कार्य (Sardar Patel as Home Minister)
सरदार पटेल पर महात्मा गांधी का प्रभाव (Impact of Gandhi ji on Sardar Patel)
सरदार पटेल के जीवन पर महात्मा गांधी के विचार और उनके सिद्धांतों का काफी गहरा प्रभाव था। सरदार पटेल ने महात्मा गांधी के अहिंसा के मार्ग पर चलने का समर्थन किया और भारत की स्वतंत्रता में उनके साथ कदम से कदम मिलाकर उनका साथ दिया।
महात्मा गांधी के कहने पर ही उन्होंने 1946 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव में अपनी उम्मीदवारी छोड़ दी थी।
असहयोग आंदोलन के दौरान सरदार पटेल ने भी पाश्चात्य संस्कृति का त्यागते हुए विदेशी कपड़ों को छोड़, कुर्ता पजामा पहनना शुरू किया और स्वदेशी को अपनाया।
सरदार पटेल के विचार तथा नारे| Sardar Patel Slogan and Quotes in hindi
सरदार वल्लभ भाई पटेल का व्यक्तित्व काफी प्रतिभाशाली और विशाल था । सरदार पटेल के विचार भी उनके व्यक्तित्व की तरह ही दृढ़ एवं प्रभावशाली हैं ।
तो आइये जानते हैं सरदार बल्लभ भाई पटेल के प्रेरणादायी और अनमोल विचारों को जिनसे आप भी अपने जीवन को एक सकारात्मक दिशा की ओर ले जा सकते हैं ।
- डर का सबसे बड़ा कारण विश्वास में कमी है।
- जीवन की डोर तो ईश्वर के हाथ में है इसलिए चिंता की कोई बात हो ही नहीं सकती ।
- जो लोग शस्त्र चलाना जानते हैं और उसके बाद भी उसे अपनी म्यान में रखते हैं, उसे ही सच्चे अर्थों में अहिंसा का मतलब पता है।
- बोलते समय कभी भी मर्यादा का साथ नहीं छोड़ना चाहिये, गलियां देना बुजदिलों की निशानी होता है।
- इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।
- अधिकार मनुष्य को तब तक अंधा बनाये रखेंगे, जब तक मनुष्य उस अधिकार को प्राप्त करने हेतु मूल्य ना चुका दे।
- आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए।
- उतावले उत्साह से बड़ा परिणाम निकलने की आशा नहीं करनी चाहिए।
- मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो, और हमारे देश में कोई अन्न के लिए आँसू बहाता हुआ भूखा ना रहे।
- मान सम्मान किसी के देने से नहीं मिलते, अपनी योग्यतानुसार मिलते हैं।
सरदार पटेल की मृत्यु (Sardar Patel Death Anniversary)
सरदार पटेल पर गांधी जी के विचारों का बहुत ही गहरा प्रभाव था। जब 1948 में गांधी जी की मृत्यु हुई तो सरदार पटेल को इसका आघात पहुँचा।
कुछ समय बाद 1950 में सरदार वल्लभ भाई पटेल की हार्ट अटैक के कारण मृत्यु हो गयी और राष्ट्रीय एकीकरण के योगदान में अहम भूमिका निभाने वाले लौह पुरुष हमेशा के लिए हमें छोड़कर चले गए।
पुरुस्कार एवं सम्मान (Sardar Patel Awards)
- 1991 में सरदार पटेल को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ” भारत रत्न “ से सम्मानित किया गया।
- सरदार पटेल के नाम से कई शिक्षण संस्थानों का नाम भी रखा गया है
- सरदार पटेल के नाम से गुजरात में “सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा” का निर्माण भी किया गया।
- मोदी सरकार द्वारा सरदार पटेल के योगदान को याद करने के लिए गुजरात में “स्टैचू ऑफ यूनिटी” का निर्माण किया गया।
Statue Of Unity (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी)
सरदार पटेल की स्मृति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की बड़ी मूर्ति बनवाई है, जो कि गुजरात में स्थित है तथा विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति है।
सरदार पटेल की स्टेचू ऑफ यूनिटी की मूर्ति हमें हमेशा यही याद दिलाता रहेगा कि किस तरह उन्होंने नामुमकिन लगने वाले काम को कर दिखाया और भारत के एकीकरण में अपना अहम योगदान दिया।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से जुड़े कुछ खास बिंदु (Important points about Statue Of Unity)
नाम (Name) | statue of Unity |
स्थान | गुजरात |
शिलान्यास | 31 अक्टूबर 2013 |
31 अक्टूबर दो हजार अट्ठारह | |
208 मीटर | |
लागत | 3000 करोड़ |
लंबाई | 182 मीटर |
image source : wikipedia
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