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कमला सोहोनी विज्ञान के क्षेत्र में ‘पीएचडी’ करने वाली पहली भारतीय महिला थीं, जिनका जन्मदिन आज Google Doodle भी celebrate कर रहा है। PHD के लिए इनका आवेदन केवल इसलिए रिजेक्ट कर दिया गया क्योंकि यह एक महिला थी।
कमला सोहोनी एक भारतीय जैव रसायनज्ञ थी। पितृसत्तात्मक बाधाओं को तोड़कर महिलाओं के भविष्य को एक दिशा देने वाली कमला सोहोनी का आज 112 वां जन्मदिन है। कमला सोहोनी की उपलब्धि को आज गूगल भी सेलिब्रेट कर रहा है।
कमला सोहोनी का जीवन परिचय | Kamla Sohonie biography in hindi
कमला सोहोनी का जन्म 1912 में मध्य प्रदेश इंदौर में हुआ था । उनके पिता का नाम नारायण राव भागवत था, जो कि एक ही रसायनज्ञ थे। उनके पिता नारायण राव और चाचा माधव राव भागवत दोनों ही रसायन शास्त्री थे।
वे दोनों प्रतिष्ठित संस्थान टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ साइंसेज़ (Tata Institute of Sciences) के विद्यार्थी थे। वे दोनों भारतीय विज्ञान संस्थान से डिग्री हासिल करने वाले रसायन विज्ञान के पहले बैच से थे।
कमला सोहोनी का जीवन परिचय | kamla Sohonie biography in hindi
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कमला सोहोनी की शिक्षा | Kamla Sohonie Education
- 1933 में कमला ने मुंबई विश्वविद्यालय से भौतिक और रसायन विज्ञान में BSC की डिग्री प्राप्त की।
- स्नातक में कमला सोहोनी को अपनी कक्षा में सबसे अधिक अंक प्राप्त हुए थे।
- उन्होंने जैव रसायन में MSC की डिग्री हासिल की।
- कमला सोहोनी ने खाद्य पदार्थों में मौजूद प्रोटीन पर काम किया।
- डॉ. डेरेक रिक्टर के तहत फ्रेडरिक जी हॉपकिंस प्रयोगशाला में काम करने के लिए उन्हें कैंब्रिज विश्वविद्यालय में आमंत्रित किया गया था।
- वह भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में शामिल होने वाली पहली महिला थी।
कमला सोहोनी का जीवन परिचय | kamla Sohoni biography in hindi
सीवी रमन ने कमला के पीएचडी में आवेदन को अस्वीकृत (reject) कर दिया था।
कमला सोहोनी का जीवन परिचय | kamla Sohoni biography in hindi
कमला सोहानी ने अपनी स्नातक की डिग्री के बाद भारतीय विज्ञान संस्थान में रिसर्च फेलोशिप के लिए आवेदन किया। भारतीय विज्ञान संस्थान के प्रमुख डॉक्टर सीवी रमन थे। कमला सोहोनी ने जब रिसर्च फेलोशिप के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान में आवेदन किया तो उनके आवेदन को अस्वीकृत कर दिया गया। क्योंकि उन्हें महिलाओं की क्षमता पर विश्वास नहीं था।
डॉक्टर सीवी रमन को विज्ञान के क्षेत्र में “नोबेल पुरस्कार” मिला था, जिस उपलक्ष में 28 मई को “राष्ट्रीय विज्ञान दिवस” भी मनाया जाता है ।
और उन्होंने कमला के आवेदन को इसीलिए अस्वीकृत किया क्योंकि वह एक महिला थी।
डॉक्टर सी वी रमन का मानना था कि महिलाएं उस क्षेत्र में रिसर्च करने के काबिल नहीं। उनका कहना 30 महिलाएं अनुसंधान के काम को आगे बढ़ाने में सक्षम नहीं है। कमला के पिता भी इस मामले में उनका साथ नहीं दे पाए।
भारतीय अनुसंधान संस्थान में दाखिले के लिए कमला सोहोनी सत्याग्रह पर बैठ गई थी
जब कमला को भारतीय अनुसंधान संस्थान में दाखिला नहीं दिया गया तो कमला ने भी हार नहीं मानी और सीवी रमन के ऑफिस के बाहर सत्याग्रह पर बैठ गयी। अंततः सीवी रमन को कमला के आगे हार माननी पड़ी और उन्होंने कमला को दाखिला दे दिया।
लेकिन सीवी रमन ने कमला को दाखिला देने के लिए उनके आगे तीन शर्ते रखी।
- कमला को अपने गाइड के निर्देशानुसार देर रात तक काम करना पड़ेगा।
- कमला को एक नियमित उम्मीदवार के रूप में अनुमति नहीं दी जाएगी और पहले वर्ष के लिए प्रोबेशन पर भी काम करना होगा। उसके बाद उन्हें पूरे परिसर में जाना जाएगा।
- तीसरी शर्त थी कि वे प्रयोगशाला के वातावरण को खराब नहीं करेंगे अर्थात पुरुषों का किसी भी प्रकार से ध्यान भंग नहीं करेंगी।
कमला सोहोनी के पास कोई और रास्ता रहेगा इसलिए उन्होंने अनुसंधान में दाखिला लेने के लिए सीवी रमन की सारी शर्तों को मान लिया।
कमला सोहोनी का जीवन परिचय | kamla Sohoni biography in hindi
डॉक्टर सी वी रमन की यह सोच उस समय की पुरुष प्रधान समाज की मानसिकता को दर्शाता है जो कहीं ना कहीं आज भी महिलाओं के उत्पीड़न के लिए महिलाओं को ही जिम्मेदार मानती है। भले ही आज महिलाएं चांद पर पहुंच गई है फिर भी हमारा समाज आज भी रूढ़िवादी मानसिकता से ग्रसित है।
कमला सोहोनी का कॅरिअर | kamla sohonie Career
कमला सोहोनी का जीवन परिचय | kamla Sohonie biography in hindi
- 1933 में कमला भारतीय अनुसंधान में दाखिला लेने वाली पहली महिला बनी । ऐसे अनुसंधान में काम करना कमला के लिए काफी असहज था, जहां केवल पुरुषों को ही महत्व दिया जाता था।
भारतीय महिला संघ की ओर से आयोजित की गई एक सभा में कमला ने अपने असहजता को बयां करते हुए कहा था –
- “यद्यपि रमन एक महान वैज्ञानिक थे, लेकिन वह बेहद संकीर्ण सोच के थे। मैं उस तरह से कभी नहीं भूल सकती जैसे उसने मेरे साथ व्यवहार किया क्योंकि मैं एक महिला थी। फिर भी, रमन ने मुझे नियमित छात्र के रूप में स्वीकार नहीं किया। यह मेरा अपमान था। महिलाओं के खिलाफ पूर्वाग्रह उस समय बहुत बुरा था। अगर कोई नोबेल विजेता भी इस तरह से व्यवहार करता है तो बाकियों से क्या उम्मीद की जा सकती है?”
- आईआईएससी में श्रीनिवास राय कमला के गुरु थे।
- इस दौरान कमला ने अपनी पढ़ाई में पूरी जान लगा दी तथा दूध ,दाल एवं फलियों में मौजूद प्रोटीन पर काम किया।
- 1936 में कमला ने अपनी परास्नातक की डिग्री distinction के साथ पास की ।
- इसके बाद कमला को कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने आगे की रिसर्च के लिए स्कॉलरशिप दी।
- इसके बाद कमला ने 1937 में वैज्ञानिक रोबिन हिल के नेतृत्व में काम करना शुरू किया
कमला सोहोनी की सफलता को देखते हुए सीवी रमन ने भारतीय अनुसंधान संस्थान के दरवाजे महिलाओं के लिए खोल दिए।
कमला सोहोनी की उपलब्धियां
- कमला सोहोनी ने एंजाइम साइटोक्रोम सी की खोज की जो कि ऊर्जा उत्पादन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
- उन्होंने पाम अमृत से बने एक किफायती आहार “नीरा” को विकसित करने में सहायता की।
- नीरा नाम का यह पेय काफी पौष्टिक और विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है ।
- नीरा पर उनके काम के लिए डॉक्टर सोहोनी को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- कमला सोहोनी “रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस” ,बॉम्बे की पहली महिला निदेशक भी बनीं।
दोस्तों उम्मीद है आपको आज का ये आर्टिकल ” kamla Sohoni biography in hindi” पसंद आया होगा। अगर किसी अन्य महिला शख्सियत के बारे में जानना चाहते हैं तो कमेंट करके जरूर बताएं।
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FAQ’s on kamla Sohonie biography in hindi
कमला सोहोनी कौन है, जिसका birthday google Doodle मना रहा है?
कमला सोहोनी भारतीय बायोकेमिस्ट थी, जो क्षेत्र में पीएचडी करने वाली पहली भारतीय महिला थी।
कमला सोहोनी का जन्म कहां हुआ था
कमला सोहनी का जन्म 1912 में मध्य प्रदेश इंदौर में हुआ था।
image source : insamachar.com
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