(Children’s day Speech and essay in hindi, Children’s day 2023, बाल दिवस पर निबंध, बाल दिवस पर भाषण)
बच्चों को देश का भविष्य मानने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिवस के अवसर पर हर साल 14 November (नवंबर) को बाल दिवस (Children’s day) मनाया जाता है।
हर साल की तरह इस साल भी पूरे देश में Children’s day 2023 ( बाल दिवस 2023) बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा। लेकिन शुरुआत में Children’s day 20 November को मनाया जाता था।आजके इस आर्टिकल में हम आपको Children’s day से जुड़ी हर एक बात, Children’s day history (children’s day का इतिहास) children’s day importance,intresting Facts और हर एक बात बताने जा रहे हैं।
बाल दिवस 2023 हिंदी में | Children’s day in hindi
बाल दिवस का इतिहास | History of Children’s day
वास्तव में बाल दिवस की नींव 1925 में विश्व कांफ्रेंस में रखी गयी थी। 1925 में विभिन्न देशों के प्रतिनिधि “विश्व बाल कल्याण दिवस” सम्मेलन के लिए जेनेवा (स्विजेरलैंड) में एकत्रित हुए। इस सम्मेलन में सभी देशों के प्रतिनिधियों ने बच्चों की समस्याओं तथा उनसे जुड़े पहलुओं पर चर्चा करते हुए बाल दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा। और इस तरह विश्व बाल सम्मेलन में “बाल दिवस” की घोषणा की गयी।
इस सम्मेलन में बाल दिवस (children’s day) की कोई तारीख निश्चित नहीं की गयी थी, तो अधिकांश देशों ने 1 जून को अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस (International children’s day) की तारीख सुनिश्चित की। और 1950 से अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस (International Children’s day) मनाया जाने लगा। लेकिन अलग अलग देशों में Children’s day की अलग अलग तारीख चुनी गयी।
भारत में पहली बार Children’s day 1959 में पहली बार मनाया गया था। आज भले ही हम Children’s day 14 November को मनाते हैं लेकिन 1964 से पहले बाल दिवस 20 November को मनाया जाता था।
27 मई 1964 को जब नेहरू जी की मृत्यु हुई, उसके बाद से ही Children’s day 20 November के स्थान पर नेहरू जी के जन्म दिवस के दिन 14 November को मनाया जाने लगा।
पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 November 1989 को हुआ था। बच्चे प्यार से उन्हें “चाचा नेहरू” कहकर बुलाते थे।
- बाल दिवस 2022 हिंदी में | Children’s day in hindi
- बाल दिवस का इतिहास | History of Children’s day
- विश्व बाल दिवस | World Children’s day
- बाल दिवस उद्देश्य | Children day ka uddeshya
- बाल दिवस का महत्व | Significance of Children’s day
- भारतीय डाक विभाग द्वारा डाक टिकट जारी करना
- जवाहर लाल नेहरू का बच्चों के प्रति खास लगाव
- बाल दिवस कैसे मनाया जाता है
- बाल दिवस में राष्ट्रपति की सहभागिता
विश्व बाल दिवस | World Children’s day
1925 में विश्व कांफ्रेंस में बाल दिवस मनाने की घोषणा की गयी थी लेकिन सभी देशों ने अपने देश की संस्कृति के आधार पर अलग अलग तारीख तय की। सन् 1954 में लगभग पूरी दुनिया में बाल दिवस (Children’s day) को मान्यता मिल गयी। संयुक्त राष्ट्र ने 20 November का दिन “विश्व बाल दिवस” (World Children’s day) के लिए तय किया।
कुछ देशों ने इसकी अलग तारीख सुनिश्चित की और कुछ देश 20 November को विश्व बाल दिवस ( World Children’s day) मनाते हैं।
कुछ देशों ने 1 June को “बाल सरंक्षण दिवस” या बाल दिवस मनाने की तारीख तय की।
बाल दिवस उद्देश्य | Children day ka uddeshya
Children’s day यानी बाल दिवस जैसा कि नाम से ही पता लगता है- बच्चों का दिन। Children day हर साल 14 November को जवाहर लाल नेहरू की स्मृति में तथा बच्चों के प्रति उनके प्यार और स्नेह को स्मरण करते हुए मनाया जाता है।
यह दिन हमें याद दिलाता है कि हर एक बच्चा अपने आप में कितना खास होता है और बच्चों की मूल जरूरतों को पूरा कर उन्हें पढाना, लिखाना , खुद के पैरों पर खड़ा करना हमारा दायित्व होता है।
Children’s day (बाल दिवस) का मुख्य उद्देश्य है- सभी बच्चों को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना तथा समाज में सभी बच्चों के सामाजिक और मानसिक विकास का ध्यान रखते हुए बच्चों पर होने वाले अमानवीय कृत्यों के प्रति समाज को जगरुख करना।
भारत के प्रथम मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ऐसे ही बच्चों को देश का भविष्य नहीं कहा था । उनका यह कथन कल भी सत्य था आज भी सत्य है और हमेशा सत्य रहेगा क्योंकि किसी देश का भविष्य कैसा होगा यह उस देश उस समाज के बच्चों पर वहां की युद्ध पर निर्भर करता है क्योंकि बच्चे अगर सही दिशा में अग्रसर है तो देश का विकास भी सही दिशा में अवश्य होगा।
इसीलिए देश के उज्जवल भविष्य के लिए तथा समाज के कल्याण के लिए हमें बच्चों का सही मार्ग दर्शन करना अति आवश्यक है तथा उनकी रुचि और उनकी योग्यता के अनुसार उन्हें उनके लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रेरित करना चाहिए।
बाल दिवस का महत्व | Significance of Children’s day
आज भले ही हम पूरे देश में बाल दिवस (Children’s day) बड़े स्तर पर धूम धाम से मनाते हों, बच्चों को बाल दिवस के गिफ्ट या तोहफे देते हों और स्टेज पर बड़े बड़े भाषण देते हों लेकिन हम भी जानते हैं कि कहीं ना कहीं ये बाल दिवस एक औपचारिकता बनकर रह गया है।
बच्चों के अधिकारों की रक्षा, उनको शिक्षा का अधिकार दिलाना और बाल शोषण के खिलाफ आवाज उठाना, अब तक हम और हमारी सरकार सफल नहीं हो पाये हैं।
अभी भी समाज में एक वर्ग ऐसा है जिसमें बच्चे पढ़ने लिखने की उम्र में मेहनत मजदूरी कर रहे हैं, तो कोई होटल में काम कर रहा है। और ऐसे ही बच्चों से उनकी मासूमियत और उनका बचपन छिनता जा रहा है। समाज में उपस्थित इस वर्ग को 3 टाइम का खाना भी नसीब नहीं होता और दूसरी तरफ हम कहते हैं कि बच्चे देश का भविष्य हैं।
बाल दिवस का दिन तभी सफल होगा जब हमारे समाज के सभी बच्चों को उनके मूल अधिकार प्राप्त होंगे और पढ़ने लिखने की उम्र में उनके हाथ में बर्तन या झाड़ू नहीं बल्कि किताबें होंगी।
भारतीय डाक विभाग द्वारा डाक टिकट जारी करना
14 November को भारतीय डाक विभाग द्वारा बाल दिवस पर विशेष डाक जारी की जाती है। इस डाक टिकट की खास बात यह है कि यह किसी पेशेवर डिजाइनरों द्वारा नहीं बल्कि बच्चों द्वारा डिजाइन की जाती है।
भारतीय डाक विभाग एक ड्राइंग प्रतियोगिता द्वारा बच्चों को चयनित करके डाक टिकट जारी करता था। 14 November 1957 में सबसे पहले भारतीय डाक ने 3 टिकटों का सेट जारी किया था। जिसमें सबसे पहले टिकट में एक लड़के को केला खाते हुए दिखाया गया था जिस टिकट की कीमत 8 पैसे थी।
एयर टिकट 8 साल के लड़के शेखर बोरकर की एक तस्वीर से बनाया गया था जिसके बाद से यह लड़का बनाना बॉय के नाम से मशहूर हो गया था।
जवाहर लाल नेहरू का बच्चों के प्रति खास लगाव
जवाहर लाल नेहरू का बच्चों से खास लगाव था। उनका मानना था – बच्चे ही देश का भविष्य हैं।
जवाहर लाल नेहरु अपने कुर्ते की जेब में हमेशा लाल रंग का गुलाब लगाकर रखते थे। जवाहरलाल नेहरू जी के ऐसे बहुत से किस्से हैं जिनसे यह पता लगता है कि बच्चों के प्रति उनके मन में कितना स्नेह और प्रेम था तथा वह कितने उदार हृदय के व्यक्ति थे।
तो आइए जानते हैं बाल दिवस (Children’s day Celebration) के अवसर पर जवाहरलाल नेहरू तथा बच्चों के कुछ खास किस्से :
- जापान के बच्चों के लिए हाथी भेजा : एक बार जापान के बच्चों ने पंडित जवाहरलाल नेहरू से हाथी भेजने के लिए आग्रह किया तो इस पर नेहरू जी ने भारत की बच्चों की तरफ से जापान के बच्चों के लिए हाथी भेजा। साथी के साथ पंडित नेहरू ने अपना संदेश भी भेजा जिसमें उन्होंने कहा कि उम्मीद है आप भी साथी की तरह धैर्यवान और मजबूत बनेंगे। इस हाथी को जापान के यून चिड़ियाघर में रखा गया था और इस हाथी का नाम “इंदिरा” रखा गया था ।
- जवाहरलाल नेहरू जी ने दिसंबर 1949 को भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के बच्चों को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखा था। यह बात साबित करता है कि उन्हें भारत के बच्चों से ही नहीं अपितु पूरी दुनिया के बच्चों से अत्यंत स्नेह था।
- एक बार जवाहरलाल नेहरू जब तमिलनाडु के दौरे पर थे तो वह सड़क से गुजर रहे थे । उन्हें देखने के लिए सड़क पर काफी भीड़ थी। लोग अपनी छतों से व सड़कों पर खड़े होकर उनकी एक झलक देखने के लिए उतावले हो रहे थे। उनकी पानी को हर एक व्यक्ति उत्सुक था तभी नेहरु जी ने भीड़ के बीच में खड़े एक गुब्बारे वाले को देखा जिसके पैर डगमगा रहे थे और वह नेहरू जी को देखने के लिए अत्यंत व्याकुल था। उसके रंग बिरंगे गुब्बारे जैसे नेहरू जी को देखने के लिए झांक रहे हो। जब नेहरू जी की गाड़ी गुब्बारे वाले के पास पहुँची तो नेहरू जी ने गाड़ी रोककर उसके सारे गुब्बारे खरीद लिए और वहाँ सभी बच्चों में वे गुब्बारे बंटवा दिए। यह देख वह गुब्बारे वाला अच्छा मित्र रह गया। जैसे ही सभी बच्चों के हाथों में गुब्बारे गए बच्चे जोर-जोर से चाचा नेहरू चाचा नेहरू कहकर चिल्लाने लगे। नेहरू जी का बच्चों के प्रति यह स्नेह ही कारण था बच्चों के द्वारा उन्हें “चाचा नेहरू” बुलाने का।
- 2 माह के बच्चे को अपनी गोद में उठाकर चुप कराया : जब जवाहरलाल नेहरू जी प्रधानमंत्री थे तो वह तीन मूर्ति भवन में रहते थे एक दिन वह तीन मूर्ति भवन के बगीचे में टहल रहे थे वहां बहुत ही पेड़ पौधे थे तभी उन्होंने वहां पर एक छोटे से बच्चे की रोने की आवाज सुनी जब उसे ढूंढते ढूंढते गए तो उन्होंने देखा कि 1 से 2 माह का बच्चा अकेले रो रहा है उन्होंने चारों तरफ देखा और उसकी मां को ढूंढना चाहा लेकिन उन्हें वहां पर कोई भी नजर नहीं आया और बच्चा और जोर जोर से रोने लगा तब भी उन्होंने बच्चे को अपनी गोद पर उठाया और उसे थपकी देकर चुप कराने लगे। कुछ देर बाद बच्चा चुप हो गया और नेहरू जी को देखकर मुस्कुराने लगा। तभी उस बच्चे की माँ वहाँ आयी और बच्चे को नेहरू जी की गोद में खेलता हुआ देख आश्चर्य चकित हो गयी।
- जवाहर लाल नेहरू जी की मृत्यु के बाद से बाल दिवस (Children’s day) उनके जन्म दिवस के अवसर पर मनाया जाने लगा जो कि पहले 20 November को मनाया जाता था।
Read More : जानिए सरदार वल्लभ भाई पटेल से जुड़े रोचक तथ्य, क्यों उन्हें लौह पुरुष की उपाधि दी गयी?
बाल दिवस कैसे मनाया जाता है
Children’s day के दिन देश भर में स्कूलों और कॉलेज में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। बाल दिवस के अवसर पर शिक्षण संस्थानों में बच्चों के लिए प्रतियोगिताएं जैसे निबंध, गीत भाषण के अतिरिक्त अन्य प्रतियोगिताएं रखी जाती हैं। बच्चे बाल दिवस पर निबंध (essay on Children’s day), बाल दिवस पर भाषण (Speech on Children’s day), Children’s day पर slogan जैसे कई सारी प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं।
बाल दिवस के अवसर पर पूरे देश से चुने गए बच्चे राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति से मुलाकात करते हैं। उनके समक्ष अपने सवाल रखते हैं और राष्ट्रपति बच्चों के सवालों का जवाब देते हैं।
अगर आप भी बाल दिवस पर भाषण (Children’s day speech) या बाल दिवस पर निबंध (essay on Children’s day) लिखना या तैयार करना चाहते हैं, तो यह अर्टिकल आपके लिए ही है।
बाल दिवस में राष्ट्रपति की सहभागिता
बाल दिवस के दिन राष्ट्रपति हर साल देश भर से आये हुए बच्चों से राष्ट्रपति भवन में मिलते हैं। बच्चों से मिलकर वह बच्चों का आत्मविश्वास तथा मनोबल को बढ़ाते हैं। बच्चे भी राष्ट्रपति से अपने मन के भावों को व्यक्त करते हैं।
बाल divas के दिन कई सामाजिक संस्थाएं भी बच्चों के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन करती हैं। इस दिन बच्चों के मनोरंजन के लिए विशेष कार्यक्रम भी रखे जाते हैं।
राष्ट्रपति अब्दुल कलाम (भारत के 11वें राष्ट्रपति) ने कहा था – देश के विकास के लिए बच्चों का विकास आवश्यक है। उन्होंने कई बार बच्चों के साथ साक्षातकार किया। बच्चों के साथ किये गए उनके सवाल जवाब काफी लोकप्रिय हैं।
image source : bhartadiscovery.org , indianphilately.in
1 thought on “Children’s day Speech and Essay in hindi | बाल दिवस 2022 हिंदी में भाषण व निबंध,क्यों मनाया जाता है”