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Aditya L1 Mission Intresting facts in hindi: चंद्रयान 3 की सफलता के बाद अब ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान) द्वारा सूर्य पर आधारित पहले मिशन को लॉन्च करने की तैयारी की जा चुकी है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अब तक विश्व में पूरे 22 सेटेलाइट सूर्य मिशन पर भेजे जा चुके हैं।
आदित्य L1 भारत का पहला ऐसा मिशन होगा जो सूर्य पर अध्ययन करने की उद्देश्य से लांच किया जा रहा है।आदित्य L1 को श्री हरिकोटा से 2 सितंबर को लॉन्च किया जायेगा। साथ ही ISRO जल्दी ही गगनयान मिशन भी लॉन्च करेगा।
भारत के इस सूर्य मिशन पर पूरे देश की नजरे टिकी है। भारत अपने आदित्य L1 मिशन पर सफल होता है तो भारत का नाम एक स्पेस शक्ति के रूप में जाना जाएगा।
तो आईए जानते हैं आदित्य L1 मिशन से जुड़े महत्वपूर्ण और रोचक तथ्यों के बारे में (Aditya L1 Mission Intresting facts in hindi)
आदित्य L1 से जुड़े रोचक तथ्य | Aditya L1 Mission Intresting facts in hindi
ISRO द्वारा सूर्य पर आधारित भारत के इस पहले मिशन की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। इसरो ने आदित्य L1 मिशन पर अपडेट देते हुए बताया है कि आदित्य एल्बम लॉन्च के लिए तैयार है। आदित्य L1 के लिए सैटेलाइट यू आर राव सैटलाइट सेंटर बेंगलुरु में रख दिया गया है।
लॉन्चिंग के लिए सैटेलाइट SDSC-SHAR श्रीहरिकोटा पहुंच गया है।
आदित्य L1 भारत का पहला सौर मिशन है।
भारत में अब तक कई स्पेस मिशन लॉन्च की है लेकिन सूर्य पर आधारित भारत का यह पहला मिशन है। ‘पार्कर सोलर प्रोब‘ सूर्य के नजदीक जाने वाला दुनिया का पहला मिशन था।
आदित्य L1 को 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच किया जायेगा।
आदित्य L1 को ISRO द्वारा 2 सितंबर 2023, शनिवार को 11:50 पर लॉन्च किया जाना है।
चंद्रयान-3 के मुकाबला आदित्य L1 चुनौतीपूर्ण मिशन होगा।
चंद्रयान 3 को ISRO ने चंद्रमा के south Pole यानी कि दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करवाई थी। लेकिन आदित्य एल्बम मिशन चंद्रयान जितना आसान नहीं होगा। सूर्य एक आज का गोल है इसलिए इस मिशन में कई चुनौतियां सामने आएंगी।
आदित्य L1 मिशन को ESA (यूरोपीय स्पेस एजेंसी) द्वारा सपोर्ट किया जा रहा है।
सूर्य से पृथ्वी की दूरी 15 करोड़ किलोमीटर है। भारत के सूर्य मिशन आदित्य L1 के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है कि इस मिशन को यूरोपीय स्पेस एजेंसी भी सपोर्ट कर रही है। ESA यानी यूरोपियन स्पेस एजेंसी का काम आदित्य L1 की ट्रैकिंग में सहायता करने का होगा।
इसके साथ ही है एजेंसी गोनहिल और कौरो ट्रैकिंग में भी सहायता करेगी।
(Aditya L1 Mission Intresting facts in hindi | आदित्य L1 से जुड़े रोचक तथ्य)
15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा आदित्य L1
आदित्य L1 लगभग 15 किलोमीटर की दूरी तय करके L1 के पास हलो ऑर्बिट पर तैनात किया जाएगा। इस जगह की खास बात यह होगी कि यहां से हर वक्त सूर्य दिखाई देता है।
आदित्य L1 को धरती से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी L1 पर स्थापित किया जाएगा।
L1 का अर्थ है लाग्रेंज बिंदु 1। इसरो के अनुसार आदित्य L1 को L1 पॉइंट की दूरी पर 15 लाख किलोमीटर पर स्थापित किया जाएगा। और यह L1 बिंदु के प्रभाव मंडल कक्षा में रहकर सूर्य का अध्ययन करेगा।
आदित्य L1 मिशन का बजट :
ISRO ने बहुत ही किफायती बजट में सूर्य पर अध्ययन के लिए आदित्य L1 Mission को तैयार किया है। आदित्य L1 का बजट लगभग 400 करोड़ है।
इससे पहले ISRO ने चंद्रयान 3 को 615 करोड़ की लागत में तैयार किया था।
(Adity L1 Mission Intresting facts in hindi | आदित्य L1 महत्वपूर्ण तथ्य)
आदित्य L1 करेगा सूर्य के तीनों लेयरों का अध्ययन :
आदित्य L1 सूर्य में उपस्थित तीन लेयरों का अध्ययन करेगा।
- कोरोना :
- केमोस्फीयर :
- फोटोस्फीयर :
मिशन का नाम सूर्य के कोर के नाम पर रखा गया।
मिशन का नाम आदित्य सूरज के कर के नाम पर रखा गया है।
आदित्य मिशन में L1 क्यों लगा है?
इस मिशन का नाम आदित्य L1 रखा गया है। आदित्य के आगे L1 इसीलिए लगा है क्योंकि सैटेलाइट को L1 पॉइंट पर रखा जाएगा।
क्या है लाग्रेंज बिंदु ?
किसी भी ग्रह के कक्षा के चारों ओर पांच स्थान ऐसे होते हैं जहां पर दो पिंडों के बीच गुरुत्वाकर्षण बल इस इस तरह से काम करता है कि वहां पर कोई भी चीज लंबे समय तक ठहर सकती है। इसीलिए इन्हीं बिंदु पर आदित्य L1 को स्थापित किया जाना है।
पृथ्वी से L1 की दूरी 15 लाख किलोमीटर है, जो कि सूर्य और पृथ्वी की दूरी का एक फीसदी है। सूर्य और पृथ्वी की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है L1 पॉइंट पर सैटेलाइट को स्थापित करने से स्पेसक्राफ्ट में खपत होने वाली ईंधन की बचत होगी।
Adity L1 Mission Intresting facts in hindi | आदित्य L1 से जुड़े रोचक तथ्य
लाग्रेंज बिंदु (Lagrange Point) के खोजकर्ता
लाग्रेंज बिंदु की खोज इतालवी खगोलशास्त्री और गणितज्ञ जोसेफ लुई Lagrange के नाम पर रखा गया है। किसी भी ग्रह के कक्षा में ऐसे 5 बिंदु होते हैं। जिन्हें क्रमशः L1, L2, L3, L4 एवं L5 नाम दिया गया है।
मिशन के जरिए सौर पवन एवं अंतरिक्ष से जुड़ी कई विषयों पर जानकारी प्राप्त होगी।
आदित्य L1 Mission की सफलता से ISRO को निम्न जानकारी प्राप्त होगी।
- मिशन से सौर पवन यानी गर्मी के कानों के प्रवाह के विषय में जानकारी मिलेगी।
- मिशन में आदित्य L1 अंतरिक्ष के मौसम, वातावरण, गतिशीलता का अध्ययन करेगा।
- इस मिशन से हमारी आकाशगंगा के अतिरिक्त अंतरिक्ष में स्थित अन्य आकाशगंगाओं के विषय में भी जानकारी मिल सकती है।
दुनिया के अन्य देशों ने सोलर मिशन पर अब तक 22 मिशन भेजे हैं।
भारत से पहले जर्मनी एवं यूरोपीय स्पेस एजेंसी समेत अन्य देशों ने 22 सोलर मिशन भेजे हैं।
- नासा ने अपना पहला सोलर मिशन 1960 में पयोनियर-5 भेजा था।
- यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने 1994 में NASA के साथ मिलकर अपना पहला सोलर मिशन भेजा था।
- 1974 में जर्मनी ने अपना पहला सोलर मिशन भेजा था ।
image source : PIB
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दोस्तों उम्मीद है कि आप सभी को आदित्य L1 पर दी गयी यह जानकारी “Aditya L1 Mission Intresting facts in hindi” पसंद आई होगी। इसी तरह की हिंदी में अन्य जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर विजिट करते रहिए।
FAQ’s on Aditya L1 Mission intresting facts in hindi
आदित्य L1 मिशन क्या है?
आदित्य L1 ISRO का सूर्य मिशन है।जिसे सूर्य का अध्ययन करने के लिए विकसित किया गया है।
लाग्रेंज बिंदु क्या है
लाग्रेंज बिंदु सूर्य और पृथ्वी के बीच के गुरुत्वाकर्षण बल के द्वारा उत्पन्न एक ऐसा बिंदु है, जहां पर कोई भी चीज रखी जाए तो वह लंबे समय तक इस बिंदु पर स्थिर रह सकती है।
L1 point की पृथ्वी से दूरी ?
L1 पॉइंट पृथ्वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसी बिंदु पर आदित्य L1 को रखा जाएगा।
दुनिया में अब तक कितने सूर्य मिशन भेजे जा चुके हैं?
दुनिया में अब तक कुल 22 सूर्य मिशन भेजे जा चुके हैं।
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