चोल वंश से जुड़े सेंगोल का इतिहास| सेंगोल क्या है, सेंगोल को कहाँ स्थापित किया जायेगा | Sengol kya hai in hindi | History of Sengol in hindi | sengol in new parliament | What is sengol in hindi | Sengol in hindi
दक्षिण भारत के चोल वंश से संबंध रखने वाला सेंगोल हाल ही में उस समय चर्चा में आया ,जब इसे भारत के “नए संसद भवन” में स्थापित करने की बात सामने आई। इससे पहले सेंगोल के विषय में कोई खास जानकारी नहीं थी।
24 मई को गृह मंत्री ‘अमित शाह‘ ने सोशल मीडिया पर सेंगोल के विषय में जानकारी देते हुए कहा – “सेंगोल निष्पक्ष न्याय का प्रतिनिधित्व करता है।”
28 मई 2023 को भारत के नए संसद भवन का उद्घघाटन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जायेगा और साथ ही सेंगोल को पहली बार हमारे संसद में भारतीय राजदंड के रूप में स्थापित किया जायेगा।
आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए सेंगोल से जुड़ी पूरी जानकारी जैसे सेंगोल क्या है (sengol kya hai in hindi, Sengol in hindi, )? सेंगोल का इतिहास क्या है? अब तक सेंगोल कहाँ था? भारतीय राजनीति में सेंगोल का क्या महत्व है? सेंगोल का हिंदी में अर्थ? लेकर आये हैं।
तो आइये जानते हैं सेंगोल क्या है हिंदी में, सेंगोल कहाँ से आया, सेंगोल से जुड़ी पूरी जानकारी ( Sengol kya hai in hindi? )
सेंगोल क्या है ? | Sengol Kya hai in hindi
सेंगोल तमिल भाषा के ‘सैम्मई‘ शब्द से बना है। जिसका अर्थ है – धर्म, निष्ठा और सच्चाई।
सेंगोल को हिंदी में ‘राजदंड‘ कहते हैं। दरअसल सेंगोल का संबंध दक्षिण भारत के चोल सम्राज्य से है।
सेंगोल अंग्रेजों से “सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक” है, जिसे भारत के नए संसद भवन में स्पीकर की कुर्सी के बगल में स्थापित किया जायेगा।
सेंगोल दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य से संबंधित है । अमित शाह ने प्रेस कॉंफ़्रेंस में बताया कि सेंगोल की हमारे राजनैतिक इतिहास में अहम भूमिका रही है।
जब भारत आजाद हुआ तो अंग्रेजों द्वारा पंडित नेहरू को यही सेंगोल देकर भारत की राजनीतिक व्यवस्था का दायित्व सौंपा था।
प्राचीन समय में सेंगोल को धार्मिक गुरु भी धारण किया करते थे, इसके अतिरिक्त राजा महाराजा अपने सिंहासन में बैठते समय इसका प्रयोग करते थे। और अपने उत्तराधिकारी को सेंगोल देकर अपनी गद्दी सौंपते थे।
Sengol kya hai in hindi | सेंगोल क्या है और सेंगोल का इतिहास
भारत के गृह मंत्री अमित शाह के अनुसार जैसे ही प्रधानमंत्री को सेंगोल के विषय में पता चला, उन्होंने तुरंत इससे जुड़ी सारी जानकारी को एकत्र करवाना शुरू कर दिया। और अब सेंगोल को हमारे संसद में स्थान दिया जा रहा है।
सेंगोल का इतिहास | History of Sengol in hindi
आजादी से पूर्व दक्षिण भारत में चोल वंश का सम्राज्य था। चोल वंश का प्रमुख रूप से तमिलनाडु राज्य से संबंध है।
चोल वंश में जब भी सत्ता एक राजा से दूसरे राजा के हाथ में सौंपी जाती थी तो उस नए शासक को सेंगोल उसके अधिकार के रूप में सौंपा जाता था। सेंगोल को राज्य में सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में उत्तराधिकारी को दिया जाता था। और इस अवसर पर एक समारोह आयोजित किया जाता था।
दक्षिण भारत से सेंगोल का संबंध :
ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार दक्षिण भारत के कई साम्राज्यों के पास सेंगोल हुआ करता था, जिसे कि पुरोहित द्वारा होने वाले राजा या उत्तराधिकारी को दिया जाता था।
चोल साम्राज्य में यह सेंगोल “Transfar of Power” (सत्ता के हस्तांतरण) का प्रतीक है।
तमिल यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर एस राजावेलू ने बताया कि सेंगोल तमिल राजाओं के पास होता था। साथ ही सेंगोल तमिल क्षेत्र में “न्याय और सुशासन” का प्रतीक रहा है।
(सेंगोल क्या है | sengol kya hai in hindi | what is sengol)
सेंगोल को कहाँ रखा गया था?
14 अगस्त 1947 की रात को भारत के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू ने सेंगोल को अन्य नेताओं की उपस्थिति में अपने आवास पर ग्रहण किया था।
इसके बाद सेंगोल को “इलाहाबाद संग्रहालय” नेहरू द्वारा इस्तेमाल की गयी वस्तुओं के साथ में रखा गया था।
अब आपने जान लिया होगा सेंगोल क्या है ( sengol kya hai in hindi) , अब जानते हैं सेंगोल के आकार और उसकी बनावट के विषय में।
सेंगोल की आकृति
सेंगोल की आकृति एक भाले या ध्वज दंड की तरह होती है। सेंगोल को चोल वंश में विभिन्न कलाओं के संगम के प्रतीक के रूप में जाना जाता था।
सेंगोल की लंबाई : 5 फीट है।
सेंगोल चांदी से बनाया गया है जिस पर सोने का पानी चढ़ा हुआ है।
सेंगोल के ऊपर भगवान शिव का वाहन “नंदी की आकृति ” बनी हुई है। दक्षिण भारत में नंदी को ‘न्याय का प्रतीक‘ माना जाता है।
नंदी के थोड़ा नीचे 2 झंडे बनाए गए हैं।
सेंगोल प्राचीन भारत की झलक को दर्शाता है।
Sengol kya hai in hindi | सेंगोल क्या है और सेंगोल का इतिहास
भारत की आजादी में सेंगोल का महत्व
जब अंग्रेजो द्वारा भारत को आजाद करने की घोषणा की गई तो भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंट बेटेन ने जवाहरलाल नेहरू से पूछा कि क्या इस अवसर पर कोई समारोह किया जाएगा ।
उस समय पंडित जवाहरलाल नेहरू के पास माउंटबेटन के सवाल का कोई स्पष्ट जवाब नहीं था, फिर जवाहरलाल नेहरू ने इस विषय में सी राजगोपालाचारी से बात की।
सी राजगोपालाचारी तमिलनाडु से थे और वे तमिलनाडु की परंपराओं से भली-भांति परिचित थे। राजगोपालाचारी ने नेहरू जी को सेंगोल के विषय में बताया, कि किस प्रकार तमिलनाडु में चोल वंश के समय सत्ता के हस्तांतरण पर सेंगोल को एक शासक से दूसरे शासक को दिया जाता था।
जवाहर लाल नेहरू को यह विचार पसंद आया और उन्होंने इस पर विचार विमर्श करके सी राजगोपालाचारी को सेंगोल के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी।
Sengol kya hai in hindi | सेंगोल क्या है और सेंगोल का इतिहास
सेंगोल का निर्माण कैसे किया गया?
सेंगोल के निर्माण की जिम्मेदारी ‘सी राजगोपालाचारी’ को दी गयी थी। राजगोपालाचारी सेंगोल के निर्माण हेतु तमिलनाडु के सबसे बड़े मठ थिरुवावादुथुरई अधीनम के पास गए।
मठ ने सेंगोल निर्माण की जिम्मेदारी चेन्नई के एक सुनार ‘ वुम्मिदी बंगारू’ को दी।
वहाँ के 2 कलाकारों ने सेंगोल का निर्माण किया। और सेंगोल के निर्माण के बाद उसे दिल्ली में लॉर्ड माउंट बेटेन को सौंपा गया।
Sengol kya hai in hindi | सेंगोल क्या है और सेंगोल का इतिहास
सेंगोल का निर्माण किसने किया?
सेंगोल का निर्माण ‘ वुम्मिदी बंगारू’ परिवार को दी गयी थी। जिसके निर्माण में लगभग 1 महीने का समय लगा।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 1947 में सेंगोल का निर्माण वुम्मिदी एथीराजालू और उनके भाई वुम्मिदी सुधाकर दोनों ने मिलकर किया।
नए संसद भवन के उद्घाटन में वुम्मिदी परिवार को भी निमंत्रित किया गया है।
2018 से पहले वुम्मिदी परिवार को भी नहीं पता था कि उनके परिवार ने ही वह सेंगोल दिया था, जिसे आजादी के समय पंडित नेहरू को दिया गया था। एक मैगजीन में छपे एक लेख से उन्हें इस बात का पता चला।
Sengol kya hai in hindi | सेंगोल क्या है और सेंगोल का इतिहास
भारतीय राजनीति में सेंगोल का महत्व
सेंगोल क्या है इन हिंदी ये तो आपने जान लिया होगा, अब जानते हैं भारतीय राजनीति में सेंगोल का क्या महत्व है?
1947 में जब भारत आजाद हुआ तो ‘सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक‘ के रूप में अंग्रेजो ने भारत के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू को सेंगोल सौंपा था। सेंगोल को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक माना जाता था।
सेंगोल का हमारे संसद में होना हमारे अधिकारों और शक्तियों का प्रतीक है। सेंगोल प्रतीक है – हमारी शक्ति, वैधता और संप्रभुतता ।
Sengol kya hai in hindi | what is sengol | सेंगोल क्या है?
नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना
वर्तमान में सेंगोल हमारी विरासत और प्राचीन परंपरा का प्रतीक है। सेंगोल को संसद में स्थान देकर एक बार फिर तमिलनाडु की संस्कृति को पुनर्जीवित किया गया है।
- सेंगोल को नए संसद भवन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्थापित किया जायेगा।
- प्रधान मंत्री मोदी द्वारा सेंगोल को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जायेगा।
उम्मीद है आज का यह लेख ” Sengol kya hai in hindi
(सेंगोल क्या है इन हिंदी)” को पढ़ने के बाद आपके मन में सेंगोल को लेकर जो भी सवाल थे उनके जवाब आपको मिल गए होंगे। अन्य trendings टॉपिक पर हिंदी में जानकारी पाने के लिए हमारी website trendingdaily.in पर visit करते रहें।
FAQ’s on Sengol kya hai in hindi ( सेंगोल से जुड़े कुछ प्रश्न)
Q1. सेंगोल क्या है इन हिंदी?
सेंगोल एक भाले के आकार का राजदंड है, जो दक्षिण भारत के चोल वंश से जुड़ा हुआ है। भारत के स्वतंत्र होने पर लॉर्ड माउंट बेटेन ने जवाहर लाल नेहरू को भारत की सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप मे सेंगोल सौंपा था।
Q2. सेंगोल किस राज्य से संबंधित है?
सेंगोल भारत के दक्षिण राज्य तमिलनाडु से संबंधित है।
Q3. सेंगोल को कहाँ स्थापित किया जायेगा?
सेंगोल को भारत के नए संसद में लोकसभा अध्यक्ष के सामने स्थापित किया जायेगा।
Q4. अब तक सेंगोल कहाँ था?
अभी तक सेंगोल इलाहाबाद के संग्रहालय में था।
Q5. सेंगोल का निर्माण किसने किया?
सेंगोल का निर्माण वुम्मिदी एथीराजालू और उनके भाई वुम्मिदी सुधाकर ने किया था।
Q6. सेंगोल का निर्माण किस धातु से किया गया है?
सेंगोल का निर्माण चांदी से किया गया है जिस पर सोने का पानी चढ़ाया गया है।
Q7. सेंगोल की क्या कीमत है?
वुम्मिडी बंगारू परिवार के चौथी पीढ़ी के सदस्य अमरेंद्रन वुम्मिडी के मुताबिक आज इस सेंगोल की कीमत 70-75 लाख रुपये तक होगी।
Q8. सेंगोल को संसद में कब व कहाँ स्थापित किया जायेगा?
सेंगोल को संसद में 28 मई 2023 को लोकसभा अध्यक्ष के सामने स्थापित किया जायेगा।
Q9. सेंगोल को बनाने में कितना समय लगा?
सेंगोल को बनाने में 30 दिन यानि 1 महीने का समय लगा।
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Bahut bdiya jankari
Very informative 😃
Thank you, for explaining in such vivid details.
Very nice article with lots of information.
इस लेख के अंत में बताया गया है कि सेंगोल को नए संसद में स्थान दें कर “तमिलनाडु की संस्कृति को श्रद्धांजलि” दी जाएगी , क्या ये वाक्य उचित है। श्रद्धांजलि तो मरणोपरांत दी जाती है और तमिलनाडु की संस्कृति अभी जिंदा है।
Thanks to notice the mistake. Corrected
very best
dhanywad