रविन्द्र नाथ टैगोर की जीवनी, रविंद्र नाथ टैगोर जयंती 2023, रविन्द्र नाथ टैगोर जन्म,माता पिता, शिक्षा, परिवार, धर्म, उपाधि, प्रमुख रचनाएं,पुरुस्कार (Ravindra Nath Tagore biography in Hindi, Ravindra Nath Tagore in hindi, Ravindra Nath Tagore jayanti 2023, family, education, work, poem)
बंगाल की धरती पर जन्में बहुमुखी प्रतिभा के धनी रविंद्र नाथ टैगोर के जैसा ना ही कोई था और नाही कोई दूसरा व्यक्ति होगा। नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित रविन्द्र नाथ टैगोर केवल एक लेखक या कवि नहीं थे, बल्कि वे एक चित्रकार, दार्शनिक,संगीतकार, मास्टर ऑफ फिलॉस्फी तथा एक नाटककार भी थे। केवल 8 वर्ष की उम्र से ही रविंद्र नाथ टैगोर ने कविताएं लिखना शुरू कर दिया था।
रविन्द्र नाथ टैगोर को भारत के उत्कृष्ट रचनात्मक कलाकार व हिंदी साहित्य और भारतीय संस्कृति को देश विदेश तक पहुंचाने वाले प्रभावशाली व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता है। (रविंद्र नाथ टैगोर की जीवनी | ravindra nath tagore biography in hindi)
बंगाल की धरती ने अनेकों ऐसे महापुरुषों, कवियों और वैज्ञानिकों को जन्म दिया है। 54% भारतीय वैज्ञानिक बंगाल से ही आते हैं। चैतन्य महाप्रभु, सुभाष चंद्र बोस, स्वामी विवेकानंद सत्यजित रे और भी बहुत से महा पुरुष बंगाल की धरती पर ही जन्में हैं।
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रविंद्र नाथ टैगोर की जीवनी ( Ravindra Nath Tagore biography in hindi)
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नाम (Name) | रविंद्र नाथ टैगोर |
जन्म तिथि (DOB) | 7 मई 1861 |
जन्म स्थान (birth place) | कोलकाता |
वास्तविक नाम | रविंद्र नाथ ठाकुर |
उप नाम | गुरुदेव, विश्वकवि |
पिता | देवेंद्र नाथ टैगोर |
माता | शारदा देवी |
शिक्षा | कानून की पढाई |
स्कूल | सेंट जेवियर |
कॉलेज | लंदन विश्व विद्यालय |
पत्नी | मृणालिनी देवी |
पेशा | नाटकार, उपन्यासकार, कवि, चित्रकार, लेखक |
भाषा | बंगाली, अंग्रेजी |
धर्म | हिन्दू |
जाति | बंगाली ब्राह्म ब्राह्मण |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | गीतांजलि के लिए नोबेल पुरुस्कार प्राप्त करने वाले पहले एशियाई |
पुरुस्कार | नोबेल पुरुस्कार (1913), नाइट हुड की उपाधि (1915) |
मृत्यु | 7 अगस्त 1941, कोलकाता |
- रविंद्र नाथ टैगोर की जीवनी ( Ravindra Nath Tagore biography in hindi)
- टैगोर की प्रसिद्ध कहानी व उपन्यास
- टैगोर के प्रसिद्ध नाटक
- रविंद्र नाथ टैगोर की प्रसिद्ध पुस्तकें
- रविंद्र नाथ टैगोर की प्रसिद्ध कविताएँ
- 3 देशों के राष्ट्रगान में योगदान :
- रविंद्र नाथ टैगोर की प्रमुख रचनाएं
- रविंद्र संगीत (Ravindra sangeet)
- गांधी जी के साथ वैचारिक मतभेद
- रविंद्र नाथ टैगोर की नोबेल पर बनी फिल्में (Film based on his Nobel)
- सम्मान व उपलब्धियां (Awards and honours)
- रविंद्र नाथ टैगोर की मृत्यु (death of Ravindra Nath Tagore)
- Ravindra Nath Tagore Quotes in hindi | रबीन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार
- FAQ’s
रविंद्र नाथ टैगोर का प्रारंभिक जीवन
रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोड़ासांको में ठाकुरबाड़ी नामक स्थान पर में हुआ था। टैगोर का जन्म बंगाल के एक पढ़े लिखे समृद्ध परिवार में हुआ था। उनके पिता देवेंद्र नाथ टैगोर तथा माता शारदा देवी थी। रविंद्र नाथ टैगोर का असली नाम रविंद्र नाथ ठाकुर था।
टैगोर की माता का बचपन में ही निधन हो गया था इसलिए उनका पालन पोषण अधिकांशतः नौकरों के द्वारा ही किया गया।
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रविंद्र नाथ टैगोर का परिवार (Family of Ravindra Nath Tagore)
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रविंद्र नाथ टैगोर के दादा जी का नाम द्वारका नाथ टैगोर था, जो कि एक बिजनेस मैन थे। भारत में उस समय उनके काफी बड़े बिजनेस थे। लेकिन टैगोर के पिताजी को बिजनेस में कोई रुझान नहीं था।
टैगोर का परिवार बंगाल पुनर्जागरण में भी पूरी तरह शामिल था। राजा राम मोहन राय , जो कि उस समय के समाज सुधारक थे, रविंद्र के दादा जी के मित्र थे।
उनके पिता ब्रह्म समाज के एक वरिष्ठ नेता थे । उनके पिता एक आध्यात्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे । जब रविंद्र 12 साल के थे , तो उनके पिता उन्हें self realisation के लिए शांति निकेतन ले जाया करते थे। (Ravindra Nath Tagore Biography in hindi )
11 साल की उम्र में उनके उपनयन संस्कार के बाद वे अपने पिता के साथ कलकत्ता छोड़कर भारत की यात्रा में निकल गए और हिमालय के पर्वतीय स्थल डेलाहौसी तक गए। ये अपने पिता के साथ अमृतसर स्वर्ण मंदिर भी जाया करते थे और वहां जाकर गुरुवाणी सुना करते थे।
गुरुवाणी से प्रेरित होकर रविंद्र नाथ टैगोर ने संगीत भी लिखा।
रविंद्र के भाई सत्येंद्र नाथ बोस :
रविंद्र के बड़े भाई सत्येंद्र नाथ बोस थे, जो कि काफी प्रभावशाली व्यक्तित्व के थे। सत्येंद्र नाथ पहले भारतीय थे जिन्होंने IES (Indian Civil Service) की परीक्षा पास की थी। उस समय इस का पेपर देने लंदन जाना पड़ता था।
कमाल की बात तो यह है कि सत्येंद्र नाथ ने स्कूल जाकर पढ़ाई नहीं कि बल्कि अपने बड़े भाई से घर पर ही पढ़ा। उन्हें स्कूल की पढ़ाई समझ नहीं आती थी।उनका कहना था कि स्कूल में प्रयोगात्मक अध्ययन होना चाहिए।
सत्येंद्र नाथ ने जादूनाथ भट्टाचार्य से संगीत सीखा था। जादूनाथ भट्टाचार्य ने ही भारत के राष्ट्रगीत वंदे मातरम की tone (लय) को सेट किया था।
बाद में ये यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन गए, और वहां से इन्होंने drop out कर लिया । इनके पास ग्रेजुएशन की डिग्री भी नही थी, लेकिन इसके बावजूद Oxford University ने 1940 में इन्हे doctrate की उपाधि दे दी।
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रविंद्र नाथ टैगोर की शिक्षा (Ravindra Nath Tagore Education)
रविंद्र नाथ की प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता में ही हुई। उन्होंने कोलकाता के सेंट जेवियर स्कूल में पढ़ाई की। बचपन में ही इन्होंने वेद, उपनिष का अध्ययन कर लिया था।
रविंद्र ने बैरिस्टर बनने की चाह में 1878 में लंदन के ब्रिजटोन विश्वविद्यालय में admission लिया किंतु बिना डिग्री लिए ही 1880 में वे वापस आ गए।
टैगोर का विवाह (Marriage of Ravindra Nath Tagore) :
1883 में टैगोर का विवाह मृणालिनी देवी से हुई। इनकी 5 संतान हुई जिनमें से 2 की मृत्यु हो गयी थी। कुछ समय बाद ही इनकी पत्नी की भी मृत्यु हो गयी थी।
रविंद्र नाथ टैगोर साहित्यिक जीवन
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रविंद्र नाथ टैगोर को बचपन से ही लिखने का बहुत शौक था। वह एक अत्यंत प्रभावशाली लेखक थे। उन्होंने केवल 8 साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिखी थी।और जब वे 16 साल के हुए तो उनकी पहली लघुकथा प्रकाशित हुई थी। (Ravindra Nath tagore Biography in hindi, ravindra Nath tagore jeevan parichay)
टैगोर बचपन में अपने पिता के साथ गुरुद्वारा जाया करते थे और वहां गुरुबाणी सुना करते थे।गुरुबाणी सुना इन्हे बहुत पसंद था। इनकी रचनाओं और संगीत में गुरुबाणी की छाप दिखाई पड़ती है।
टैगोर ने अपने जीवन काल में बहुत सी कविताएं, कहानियां, उपन्यास, नाटक व लघु कथाएं लिखीं। टैगोर ने इतिहास और आध्यात्मिकता से जुड़ी किताबें भी लिखी।
टैगोर ने कालिदास की किताबें पढ़कर अपनी ख़ुद की शास्त्रीय कविताएँ लिखनी प्रारंभ की। उनकी बड़ी बहन स्वर्ण कुमारी भी एक उपन्यास कार थी।
टैगोर ने 30 से अधिक देशों की यात्रा भी की और उन पर यात्रा वृत्तान्त भी लिखे।
टैगोर के 150 वें जन्मदिन पर उनके कार्यों का एक संकलन (कालनुक्रोमिक रवींद्र रचनाबली) बंगाली में प्रकाशित किया गया । इनमें उनके काम के लगभग सभी संस्करण शामिल हैं जिसमे कि 80 संस्करण हैं।
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टैगोर की प्रसिद्ध कहानी व उपन्यास
- चतुरंगा
- गोरा (1910)
- नौकादुम्बी
- योगायोग या जोगजोग (1929)
- घारे बायरे
- पोस्ट मास्टर
- चोखेरबाली
- काबुलीवाला
टैगोर के प्रसिद्ध नाटक
- राजा (1910)
- मुक्तधारा (1922)
- अचलतायन (1912)
- डाकघर (1912)
- रक्तकरावी (1926)
रविंद्र नाथ टैगोर की प्रसिद्ध पुस्तकें
- गीतांजलि
- शेशेर कविता
- चोखेर बाली
- रचनात्मक एकता
- डाकघर
- बसंत का चक्र
- भीखारिनी
- राष्ट्रवाद (1917)
- भूखे पत्थर (1920)
रविंद्र नाथ टैगोर की प्रसिद्ध कविताएँ
- मानसी
- सोनार तारी
- गीतांजलि
- गीतममाल्या
- भानु सिम्हा ठाकुर पदबली
- कबि कहिनी
- प्रभात संगीत
- संध्या संगीत
- बंगमाता
- दुई बीघा जोमी
- जीवन की धारा
- वीर पुरुष
3 देशों के राष्ट्रगान में योगदान :
जन गण मन (भारत का राष्ट्रगान) :
भारत का राष्ट्रगान “जन गण मन” रविंद्र नाथ टैगोर की ही रचना है। कई बार उन पर यह आरोप भी लगाया गया कि उन्होंने ब्रिटिश वायसराय जॉर्ज पंचम की स्तुति में यह गीत लिखा है। जबकि ऐसा था नहीं।
अमार सोनार बांग्ला (बांग्ला देश का राष्टगान) :
बांग्ला देश का राष्ट्रगान “अमार सोनार बांग्ला” भी रविंद्र नाथ टैगोर की ही देन है।
श्री लंका मथा
श्री लंका का नेशनल एंथम “श्री लंका” मथा भी रविंद्र नाथ टैगोर की रचना से प्रेरित है। श्री लंका मथा को आनंद समरकून ने लिखा है, जो शांति निकेतन में रविंद्र के साथ रहते थे। उनका कहना था कि वे टैगोर स्कूल ऑफ पोएट्री से काफी प्रभावित थे। (ravindra Nath tagore Biography in hindi)
श्री लंका मथा की कुछ पंक्तियों में टैगोर की कविता की झलक दिखाई पड़ती है।
रविंद्र नाथ टैगोर की प्रमुख रचनाएं
- गीतांजलि
- राष्ट्रगान जन गण मन (1911) : भारत का राष्ट्रगान
- अमार सोनार बांग्ला (1905) : बंगाल का राष्ट्रगान
- पूरबी प्रवाहिन
- महुआ
- शिशु भोलानाथ
- वनवाणी
- परिशेष
- पुनश्च
- चोखेरबाली
- गीतमाल्य
- चारूलता
- पोस्टमास्टर
- मानसी
- क्षणिका
- कथा ओ कहानी
रविंद्र संगीत (Ravindra sangeet)
रविंद्र नाथ टैगोर ने अपने पूरे जीवन में 2230 से भी अधिक गाने लिखे। जब इन्होंने ताल का अध्ययन किया तो इन्हें लगा कि ताल पूरी नहीं हैं और इन्होंने 6 नई ताल बनाई।
इनके द्वारा बनाया गया संगीत आज भी बंगाल में रविंद्र संगीत के नाम से जीवित है। रविंद्र संगीत बंगाल की संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। मानवता वादी विचारधारा के चलते इन्होंने 2 देशों (भारत, बांग्ला देश) के लिए राष्ट्र गान भी लिखा।
गांधी जी के साथ वैचारिक मतभेद
रविंद्र नाथ टैगोर के गांधी जी से वैचारिक मतभेद थे। उन दोनो के मध्य में मानवता और राष्ट्रीयता को लेकर हमेशा मतभेद रहा। गांधी जी हमेशा राष्ट्रीयता को पहले रखते थे वहीं रविंद्र नाथ टैगोर मानवता को पहले रखते थे। लेकिन वे दोनों एक दूसरे का पूरा सम्मान करते थे।
एक और गांधी जी का कहना था कि अपने देश के लिए कुछ करो, वही दूसरी ओर रविंद्र नाथ टैगोर का कहना था मानवता के लिए कुछ करो। (Ravindra Nath tagore Biography in hindi, ravindra Nath tagore Biography in hindi)
टैगोर ने गांधी जी को “महात्मा” की उपाधि दी थी।
एक समय ऐसा आया जब रविंद्र नाथ टैगोर का शांति निकेतन आर्थिक कमी से जूझ रहा था , जिसको दूर करने के लिए टैगोर देश भर में नाटकों का मंचन करके पैसे इक्कठा कर रहे थे। उस समय गांधी जी ने टैगोर को 60 हजार रुपए का चेक दिया। (Ravindra Nath tagore Biography in hindi)
रविंद्र नाथ टैगोर की नोबेल पर बनी फिल्में (Film based on his Nobel)
बलिदान
मिलन(दिलीप कुमार)
घूंघट
डाकघर(1965)
उपहार( 1971)
अस्तित्व
चोकर बाली
सम्मान व उपलब्धियां (Awards and honours)
नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित
रविंद्र नाथ टैगोर को को 1913 में अपनी रचना गीतांजलि के लिए नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।
नाइट हुड की उपाधि
जॉर्ज पंचम ने उन्हें नाइट हुड की उपाधि से सम्मानित किया था, जिसे उन्होंने जलियां वाला बाग हत्याकांड के विरोध में 1919 में वापस कर दिया था।
कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर की उपाधि
20 दिसंबर 1915 को कलकत्ता विश्वविद्यालय ने रविंद्र नाथ टैगोर को “डॉक्टर” की उपाधि से सम्मानित किया।
रविंद्र नाथ टैगोर की मृत्यु (death of Ravindra Nath Tagore)
रविंद्र नाथ टैगोर ने अपने लेखन व कार्यशैली के माध्यम से भारतीय संस्कृति को दूर दूर तक फैलाया।भारत की संस्कृति के महान दार्शनिक व बंगाल साहित्य के अनमोल कवि का बीमारी के चलते 7 अगस्त 1941 को कोलकाता के जोरासांकी हवेली में निधन हो गया। (Ravindra Nath tagore Biography in hindi)
लेकिन आज भी रविंद्र नाथ टैगोर हमारे बीच में जीवित हैं और बंगाल के साहित्य व रचनाओ में उपस्थित हैं।
Ravindra Nath Tagore Quotes in hindi | रबीन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार
उपदेश देना सरल है, पर उपाय बताना कठिन।
खुश रहना बहुत सरल है, लेकिन सरल होना बहुत मुश्किल है।
यदि आप सभी त्रुटियों के लिए दरवाजा बंद कर दोगे तो सच अपने आप बाहर बंद हो जाएगा।
दोस्ती की गहराई परिचित की लंबाई पर निर्भर नहीं करती। (Ravindra Nath tagore Biography in hindi)
फूल की पंखुड़ियों को तोड़ कर, आप उसकी सुंदरता को इकठ्ठा नहीं करते।
प्रत्येक शिशु यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है। (Ravindra Nath tagore Biography in hindi)
FAQ’s
नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित रविन्द्र नाथ टैगोर केवल एक लेखक या कवि नहीं थे, बल्कि वे एक चित्रकार, दार्शनिक,संगीतकार, मास्टर ऑफ फिलॉस्फी तथा एक नाटककार भी थे।
रविंद्र नाथ टैगोर को 1913 में गीतांजलि के लिए नोबेल पुरुस्कार मिला
7 मई
रवींन्द्र नाथ टैगोर ने नारा दिया था एकला चलो
काजी नजरुल इस्लाम ने उन्हें विश्व कवि कहा
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